भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड ने ‘कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स: एन इंस्टीट्यूशन ऑफ पब्लिक ट्रस्ट’ पर एक कार्यशाला का आयोजन किया।

नई दिल्ली। भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के साथ मिलकर ‘कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स: एन इंस्टीट्यूशन ऑफ पब्लिक ट्रस्ट’ विषय पर एक एकदिवसीय वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। यह वित्तीय लेनदारों के फायदे के लिए आयोजित कार्यशालाओं की श्रृंखला के तहत पांचवीं ऐसी कार्यशाला है। इसमें ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के तहत लेनदारों की समिति (सीओसी) भी शामिल है। इस कार्यशाला में 15 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के 31 वरिष्ठ अधिकारियों (महाप्रबंधकों एवं कार्यकारी निदेशकों) ने भाग लिया। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव राजेश वर्मा ने उद्घाटन भाषण दिया। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कार्यशाला में मुख्य व्याख्यान दिया। भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश कुमार खेरा ने इस अवसर पर एक विशेष वक्तव्य दिया। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता ने अपने स्वागत उद्बोधन के साथ उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया। इस कार्यशाला के प्रमुख वक्ताओं में भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक सीएस शेट्टी, पीडब्ल्यूसी इंडिया के चेयरमेन संजीव कृष्णन, एडलवाइस ग्रुप के चेयरमैन राशेष शाह, शार्दुल अमरचंद मंगलदास के मैनेजिंग पार्टनर शार्दुल श्रॉफ और आईबीबीआई के चेयरपर्सन डॉ. एम. एस. साहू शामिल थे। Ministry of Corporate Affairs ने प्रेस रिलीज़ में बताया कि इस कार्यशाला का उद्देश्य आईबीसी के तहत सीओसी की भूमिका एवं उससे अपेक्षाओं के बारे में बेहतर समझ विकसित करना और यह सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय लेनदारों की क्षमता का निर्माण करना है कि सीओसी अत्यंत सावधानी एवं परिश्रम के साथ अपने वैधानिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करती है। इसके अलावा विभिन्न प्रतिस्पर्धी समाधान योजनाओं को तैयार करने और उनमें से सर्वश्रेष्ठ को मंजूरी देने के मामले में व्यावसायिक निर्णय लेने की पर्याप्त क्षमता और प्रेरणा रखती है। साथ ही समाधान प्रक्रिया में सभी हितधारकों के हितों पर विचार करती है और उनमें संतुलन बनाती है। ****
