
कृषि कानूनों का विरोध: किसान ने अपनी १० बीघा फसल जोतकर की बर्बाद
विरोध में महिला किसान भी उतरीं, घर घर जाकर चला रहीं जागरुकता अभियान
बिजनौर। हल्दौर ब्लाक क्षेत्र के ग्राम कुण्डा तहारपुर में भारतीय किसान यूनियन के एक वरिष्ठ नेता चौ. पुष्पेंद्र पुत्र बृजपाल ने कृषि कानूनों के विरोध में अपनी दस बीघा खड़ी गेहूं और सरसों की मिश्रित फसल ट्रैक्टर और हैरो से जोतकर बर्बाद कर दी। उधर गांव की किसान महिलाओं ने भी तीनों कृषि विधेयक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिलाएं घर घर जाकर अन्य महिलाओं को कृषि कानूनों को वापस कराए जाने के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए जागरूक करने में लगी हैं।
ब्लॉक हल्दौर क्षेत्र के ग्राम कुण्डा तहारपुर में रविवार सुबह करीब 11 बजे भारतीय किसान यूनियन के एक वरिष्ठ नेता भाकियू के जिला संगठन मंत्री चौधरी राजेंद्र सिंह फतेहउल्लाहपुर (पौटा) निवासी के नेतृत्व में कृषि कानून के विरोध में चौ. पुष्पेंद्र पुत्र बृजपाल ने अपने खेत में खड़ी दस बीघा गेहूं और सरसों की मिश्रित फसल को ट्रैक्टर और हैरो से जोत कर बर्बाद कर दिया। किसान का आरोप है कि सरकार अपने मनमाने तरीके से तीनों कृषि विधेयकों को किसानों के ऊपर थोपना चाहती है, जबकि किसान इन के पुरजोर विरोध में हैं। इस बार भी किसानों के गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया गया। चीनी मिलों ने किसानों के गन्ने का समस्त बकाया भुगतान नहीं किया है। किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। खाद्यान्न के दलालों और बिचौलियों की जमकर मौज आ रही है। सरकार किसानों की समस्याओं को लगातार अनदेखा करने में लगी है। सरकार के तीनों विधेयक किसानों के कतई भी हित में नहीं है। ऐसे में मजबूर किसान के पास अपनी फसल बर्बाद करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। उक्त किसान ने दो टूक शब्दों में कहा कि जब तक सरकार किसान विरोधी बिलों को वापस नहीं लेती तब तक उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।
मौके पर मौजूद अन्य किसानों ने भी तीनों कृषि बिलों के विरोध में समस्त किसानों के हित की लड़ाई लडऩे के लिए उक्त किसान का पूरी तरह साथ देने का आश्वासन दिया। मौके पर भाकियू के जिला संगठन मंत्री राजेंद्र चौधरी, हल्दौर ब्लॉक उपाध्यक्ष धर्मेंद्र चौधरी, पूर्व ग्राम प्रधान गजय चौधरी, समर पाल, तारा सिंह, मलखान, दिलावर प्रधान, राजपाल समेत अनेक किसान मौजूद रहे।
किसान महिलाओं ने भी खोला कृषि बिलों के खिलाफ मोर्चा
क्षेत्रीय किसान महिलाओं ने भी कृषि बिलों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिलाओं ने कृषि कानूनों को वापस कराए जाने को लेकर रविवार को गांव में घर-घर जाकर अन्य किसान महिलाओं को इसका विरोध प्रदर्शन करने के लिए जागरूक किया। ऐसी महिलाएं अपने पड़ोसी गांवों की अन्य महिलाओं को उनके घर घर जाकर कृषि कानूनों के विरोध के प्रति जागरूक करेंगी। उनका कहना है कि सरकार शायद महिला किसानों की ताकत से पूरी तरह वाकिफ नहीं है। उक्त महिलाओं का कहना है कि सरकार द्वारा जारी तीनों कृषि विधेयकों के विरोध में वे अन्य किसानों के साथ मिलकर समस्त किसानों के हित में आरपार की लड़ाई लडऩे के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
