लखनऊ। उत्तर प्रदेश में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाएं 24 अप्रैल से 12 मई तक कराने की तैयारियां चल रही थीं। वहीं राज्य निर्वाचन आयोग भी 23 अप्रैल तक चार चरणों में मतदान प्रक्रिया पूरी करने को तत्पर था। इस बीच हाईकोर्ट द्वारा फिर से आरक्षण कराने के निर्देश पर राज्य सरकार ने नए सिरे से आरक्षण प्रक्रिया शुरू कराई। अब 27 मार्च को आरक्षण की प्रक्रिया पूरी होने के साथ आयोग भी चुनाव की अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है।
चुनाव प्रक्रिया को चाहिए 42 दिन: राज्य निर्वाचन आयोग के सूत्रों का कहना है कि होली से ठीक पहले 27 मार्च को अधिसूचना जारी होने से उसे विधिवत चुनाव कराने के लिए 42 दिन चाहिए। चार चरण में जिलेवार सभी पदों का एक साथ चुनाव कराने के लिए 42 दिन का समय होने पर प्रत्येक चरण में प्रचार के लिए एक सप्ताह का समय दिया जा सकेगा। ऐसे में आयोग चाहता है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं मई के पहले सप्ताह तक टल जाएं ताकि मतगणना आदि भी उससे पहले करा ली जाए।

पहले पंचायत चुनाव, फिर बोर्ड परीक्षाएं: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा का भी दायित्व संभाल रहे उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा का कहना है कि पंचायत चुनाव के बाद ही बोर्ड परीक्षाएं कराई जाएंगी। ऐसे में बोर्ड परीक्षाएं 24 अप्रैल से तो नहीं होंगी। वहीं सूत्रों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा विभाग बोर्ड परीक्षाएं और टालने के पक्ष में नहीं हैं। अधिकारी 10 जून के आसपास नतीजे घोषित करना चाहते हैं। इधर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षाएं चार मई से शुरू होने के कारण सम्भावना है कि यूपी बोर्ड की परीक्षाएं भी तीन-चार मई से शुरू कराई जाएं।
बोर्ड परीक्षाएं एक सप्ताह आगे बढ़ाने पर विचार: अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह का कहना है कि पंचायत चुनाव के मद्देनजर बोर्ड परीक्षाएं एक सप्ताह आगे बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। आयोग के सूत्रों का कहना है कि 30 अप्रैल तक का भी समय मिल जाने पर चार चरणों में मतदान की प्रक्रिया तो पूरी ही कर ही ली जाएगी। मतगणना तीन-चार मई को कराई जा सकती है। हाईकोर्ट के आदेशानुसार आयोग को जनता से चुने जाने वाले पंचायतों के चारों पदों का चुनाव 10 मई तक कराना है।