चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से 21 अप्रैल
नवरात्रि में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। चैत्र नवरात्र में ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता है। शक्ति की उपासना चैत्र मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र का प्रारम्भ 13 अप्रैल से है और नवमी 21 अप्रैल को होगी। इस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी। चंद्रमा मेष राशि में रहेगा अश्विनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग बन रहा है। साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग अमृतसिद्धि योग नवरात्र के महात्म्य में वृद्धि करेगा। इसी दिन नवसंवत्सर विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। इसी दिन घटस्थापना की जाएगी। मंगलवार के दिन चैत्र नवरात्र का आरंभ होने से मां दुर्गा देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है जो शुभ नहीं है भय एवं युद्ध की स्थिति बनी रहेगी। कंधे पर देवी के प्रस्थान होने से यह राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि कारक होगा।

नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है नवरात्र में घट स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ, हवन व कन्या पूजन से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं। प्रथम नवरात्र में मां शैलपुत्री, द्वितीय नवरात्र में माँ ब्रहाचारिणी, तृतीय नवरात्र में माँ चन्द्रघण्टा, चतुर्थ नवरात्र में कूष्माण्डा, पंचम नवरात्र में माँ स्कन्दमाता, षष्ठ नवरात्र में माँ कात्यायनी, सप्तम नवरात्र में माँ कालरात्री, अष्टम नवरात्र में माँ महागौरी, नवम् नवरात्र में माँ सिद्विदात्री के पूजन का विधान है। दुर्गा देवी के तीन रूप सरस्वती, लक्ष्मी व काली क्रमशः सत, रज और तम गुणों के प्रतीक हैं।
चैत्र नवरात्र घट स्थापना मुहुर्त-चैत्र की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8ः00 से प्रारम्भ होकर 13 अप्रैल को प्रातः 10ः16 पर समाप्त हो रही है। चैत्र नवरात्र में दुर्गा पूजन हेतु इस वर्ष घट स्थापना महुर्त मंगलवार 13 अप्रैल को प्रातः 5ः45 से प्रातः 09ः59 में तथा लाभ की चैघाड़िया एवं अभिजीत महुर्त दिन 11ः41 से दिन 12ः32 करना श्रेष्ठ है।
ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल स्वास्तिक ज्योतिष क्रेन्द्र, अलीगंज, लखनऊ