हिन्दू नववर्ष विक्रम संवत् 2078 आनन्द संवत्सर का प्रारम्भ
इस बार हिन्दू नववर्ष विक्रम सम्वत् 2078 का प्रारम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 13 अप्रैल मंगलवार को होगा। हिन्दू वर्ष में 12 महीने (चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन) होते हैं। इसी तिथि पर देवपिता ब्रहा जी ने सारी सृष्टी का निर्माण किया था। मान्यता है कि भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार तथा सतयुग का प्रारम्भ हुआ था। महान सम्राट विक्रमादित्य ने संवत्सर का आरम्भ इसी तिथि से किया था। इसी दिन नवसंवत्सर विक्रम संवत 2078 से आनन्द नाम का संवत्सर प्रारंभ होगा। संवत 2078 का ग्रह मंत्री मंडल इस प्रकार है। इस नव वर्ष के राजा और मंत्री दोनों का कार्यभार अग्नि तत्व के प्रतीक मंगल ग्रह के पास रहेगा। सस्येश शुक्र, धान्येश गुरु, मेघेष मंगल, रसेश रवि, नीरसेश शुक्र, फलेश चंद्र, धनेश शुक्र और दुर्गेश मंगल होंगे।

इनमें से पांच गृह मंडल में पांच स्थान सौम्य ग्रह को प्राप्त हुए हैं और पांच स्थान क्रूर ग्रहों को प्राप्त हुए हैं। इस बार मंगल के पास राजा और मंत्री के महत्वपूर्ण पद हैं। नव वर्ष का शुभारंभ जिस वार से होता है, वही वर्ष का राजा होता है। मंगल के प्रभाव से अग्नि के साथ जनधन का क्षय होने की घटना होती है। प्राकृतिक प्रकोप, लोगों में सदाचार की कमी, आपराधिक घटनाओं में वृद्धि आदि होती है। साथ ही धान्य आदि के भावों में तेजी आएगी। अध्यात्म के मार्ग पर चलने वालों को राहत और अन्य को पीड़ा का अनुभव होता है। इसके अलावा धान्येश गुरु होने से धान्य की उपलब्धता सुलभ होगी। दुर्गेश मंगल होने के कारण राष्ट्र में आंतरिक विरोध, पड़ोसी देशों से तनाव चलता रहेगा। अच्छी बारिश के योग भी बन रहे हैं महामारी का प्रकोप कम पड़ जाएगा। इस दिन नये वर्ष के पचांग का पूजन कर वर्षफल सुना जाता है। निवास स्थानों पर ध्वाजा और बन्दनवार लगाते हैं। महाराष्ट्र में गुडी पड़वा पर घर-घर में ध्वाजायें फैरायी जाती हैं। इस दिन नीम के नये कोमल पत्तों, जीरा, काली मिर्च, हींग, नमक को पीसकर खाने से वर्ष भर अरोग्यता रहती है-
ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र, अलीगंज, लखनऊ