बिजनौर। संगठन के कथित विद्रोहियों को बाहर करने के फेर में भाजपा भस्मासुर की गति को प्राप्त होने की कतार में पहुंच गई है! समर्पित कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर चाटुकारों का बोलबाला हो गया है। प्रदेश नेतृत्व को जनपद बिजनौर की संगठनात्मक गतिविधियों की वास्तविकता से अवगत नहीं कराया जा रहा। कम से कम बिजनौर के वर्तमान हालात तो यही बयां कर रहे हैं!
हाल ही में जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों के सामने चुनाव लड़ने व अपनी पत्नी को चुनाव लड़ाने वाले 11 पार्टी नेताओं को संगठन से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया गया था। शनिवार को फिर छह पदाधिकारियों, सक्रिय कार्यकर्ताओं को छह साल का वनवास दे दिया गया। अब गिनती देखिए। एक नेता, एक कार्यकर्ता स्वयं में क्या ताकत रखता है! पहली बात ये है कि जिसने पार्टी संगठन के लिए जिंदगी गुजार दी, उसके समर्थक सैकड़ों में नहीं, निश्चित ही हजारों में होंगे। सत्तारूढ़ पार्टी का होने के नाते इस गिनती में इज़ाफ़ा भी निश्चित ही हुआ होगा। इनके निष्कासन के बाद यदि राष्ट्रीय स्तर की पार्टी को क्षति उठानी पड़ी तो बस ये समझना आसान है कि यहीं से अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने की शुरुआत हो गई है।

दरअसल जिला पंचायत सदस्य के चुनाव में भाजपा ने सभी वार्डों में अपने प्रत्याशी उतारे। बताया जाता है कि प्रत्याशी बनने की होड़ में लगे बहुत से नेताओं को किनारे लगा दिया गया। आरोप है कि ऐसी स्थिति में उन लोगों ने पार्टी से बगावत कर दी। वह भाजपा प्रत्याशी के सामने चुनाव मैदान में या तो खुद सामने आ गए या फिर अपनी पत्नी को चुनाव मैदान में उतार दिया। इस पर भाजपा ने कथित रूप से पार्टी से बगावत कर खुद चुुनाव लड़ रहे भाजपा के जिला उपाध्यक्ष कृष्ण बलदेव सिंह, किसान मोर्चा के जिला महामंत्री अवनीश चौहान, किसान मोर्चा के जिला कोषाध्यक्ष रमेश सिंह, पूर्व मंडल अध्यक्ष ज्ञानेश्वर राजन, सेक्टर संयोजक टीकम सिंह, सक्रिय सदस्य विजेंद्र राणा, युवा मोर्चा के जिला कार्यकारिणी सदस्य संजय चौहान, मंडल मंत्री जगवीर सिंह, सक्रिय सदस्य सरदार कुलवंत सिंह व पत्नी को चुनाव लड़ा रहे व्यावसायिक प्रकोष्ठ के जिला संयोजक अरविंद प्रजापति और पूर्व जिला मंत्री विष्णु दत्त सैनी को छह वर्ष के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। वहीं शनिवार को प्रांतीय पार्षद व पूर्व जिला महांत्री रमेश रागी, पूर्व नगर उपाध्यक्ष बिजनौर जितेंद्र राणा, सेक्टर संयोजक नरेश कुमार के अलावा प्राथमिक सदस्यों विनीत बहादुर, गिरीराज सैनी व विनोद कुमार को भी छह साल का वनवास दे दिया गया।
जिलाध्यक्ष सुभाष वाल्मीकि ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को रिपोर्ट भेजी गई थी। उनकी अनुमति मिलने के बाद यह निर्णय लिया गया है।
BJP को ही समर्पित अगली पोस्ट-छोटा अखबार, बड़ा अखबार..