नवमी पर नौ कन्याओं का पूजन, गौ माता को लगाया भोग
मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन

बिजनौर। नवरात्र के नौवें दिन आदि शक्ति के नौवें स्वरुप मां सिद्धी दात्री की पूजा अर्चना के साथ कन्या पूजन कर व्रत परायण किया गया। घरों में नौ देवियों के स्वरूप में कन्याओं को आमंत्रित करके भोग लगाया गया। मंदिरों में पहुंचे श्रद्धालुओं ने मास्क का प्रयोग भी किया और सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा। पुलिस प्रशासन की ओर से किसी भी धार्मिक स्थल में एक साथ पांच लोगों के प्रवेश न होने देने के निर्देश का भी खासा असर दिखाई पड़ा।
नवमी पर नौवें स्वरुप मां सिद्धी दात्री की पूजा अर्चना कर घरों में कन्या पूजन किया गया। नवरात्रि के दौरान प्रत्येक दिन कन्या पूजन की मान्यता है, लेकिन नवमी तिथि पर कन्या पूजन का सर्वाधिक महत्व है। चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ घट स्थापना के साथ होता है, जबकि समापन कन्या पूजन के साथ किया जाता है। हालांक कुछ लोगों ने अष्टमी तिथि के दिन भी व्रत का परायण कर कन्या जिमाईं थीं। कुछ लोगों ने नवमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया। नवरात्रि में नौ कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है तो वहीं बालक को बटुक भैरव या हनुमान जी के रूप में पूजा जाता है। कंजकों के साथ बिठाए जाने वाले बालक को लांगुर कहा जाता है। मान्यता है कि कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा और सेवा करने से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुख-शांति और धन का आशीर्वाद देती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान दो साल से नौ साल के बीच की कन्याओं की ही पूजा की जानी चाहिए। नौ साल से अधिक उम्र की कन्याओं को भी भोजन कराया जा सकता है, लेकिन पूजन सिर्फ नौ साल तक का ही कन्या का मान्य होता है। इस दौरान हलवा, पूड़ी, नारियल के प्रशाद के अलावा लोगों ने क्षमतानुसार गिफ्ट भी दिए। सर्वप्रथम कन्याओं के पैरों को धो कर चरण स्पर्श किया गया, फिर माथे पर तिलक लगा कर जिमाया गया।
नवमी पर्व पर मंदिरों में पहुंच कर भी श्रद्धालुओं ने देवी मां की पूजा अर्चना की। कोरोना संक्रमण के चलते अधिकांश घरों में प्रतीकात्मक तौर पर ही कन्या पूजन किया गया। मंदिरों के अलावा गायों को प्रशाद अर्पित किया गया।