
मौत के तांडव के बीच भी खेल कमीशन का…! एम्बुलेंस चालक और मरीज के तीमारदार के बीच सड़क पर दिनदहाड़े मची ये जंग आजकल कोई नया नजारा नहीं रह गया है। आएदिन ऐसे मामले देखने, सुनने और पढ़ने को मिल जाएंगे कि मरीज को लाने ले जाने के लिए एम्बुलेंस मालिकों, चालकों ने कैसी लूट खुलेआम मचा रखी है। दो चार नहीं, 10 गुना तक किराया। अपने पहले से तय निजी अस्पताल, लैब आदि में ले जाने की जबरदस्ती।
यह मामला बिजनौर के सिविल लाइंस क्षेत्र का है। एक अस्पताल में भर्ती मरीज का सीटी स्कैन आदि होना था। मरीज के परिजन उसे सरकारी अस्पताल ले जाना चाहते थे लेकिन एम्बुलेंस चालक अपनी जान पहचान बता कर कहीं और ले जाना चाह रहा था। अब यह बात तो पढ़े लिखे से लेकर अनपढ़ व्यक्ति तक भी बखूबी समझता है कि जान पहचान का मतलब क्या होता है। इसका सीधा सा मतलब है कमीशन। कमीशन का मतलब है धन। ….और धन का मतलब है आजकल का सबसे बड़ा सच! इसी के पीछे दुनिया भाग रही है। बहरहाल, इस मामले के पीछे भी एम्बुलेंस चालक की कुछ ऐसी ही चाह रही होगी। काफी देर बवाल चला। आते-जाते लोग रुके, कुछ देखकर आगे बढ़ गए, कुछ ने एम्बुलेंस चालक को खरी खोटी सुनाई। लिहाजा मामले का पटाक्षेप हो गया। फिर भी एक विचारणीय प्रश्न अनुत्तरित रह गया कि चारों तरफ मचे हाहाकार के बीच कोई कैसे मानवता को ताक पर रख देता है! ब्लैक करने के लिए दवा आदि की कृत्रिम कमी, फल, सब्जी, किराना हर चीज के दाम बढ़ा कर बेचना, ये सब क्या है ? सोचिएगा।