करो योग-रहो निरोग
विषय- कोरोना-साध्य या असाध्य

वैदिक योग चिकित्सक
(पूर्व वैदिक चिकित्सक एमजेबीवाईएस, महाराष्ट्र)
संपर्क-6395575501
कोरोना साध्य है या असाध्य! इस पर चर्चा से पहले मैं थोड़ा योग शब्द पर चर्चा करूंगा। आज के युग में योग अपना परिचय देने के लिए विश्व में किसी सहारे का मोहताज नहीं। योग क्या है? इसका जन्म स्थान क्या है? जन्मदाता कौन है? इसका जन्म कब, क्यों कैसे हुआ? यहां संक्षेप में इतना ही कहा जा सकता है कि योग सदियों पुराना एक ऐसा दिव्य ज्ञान है जिसको अपना कर संपूर्ण मानव जाति, मानव समाज ने स्वयं को शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, सामाजिक एवं आर्थिक रूप से स्वस्थ रहते हुए जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की की है। यह हमें ईश्वर द्वारा प्रदान किया एक ऐसा दिव्य मंत्र है, जिसमें मनुष्य ने योग की विभिन्न क्रियाओं को करते हुए स्वयं की सुप्त शक्तियों और ऊर्जाओं को जागृत करके अपना अकथनीय विकास किया है। देवों के देव महादेव भी एक महान योगी थे।
महर्षि पतंजलि और न जाने कितने ऋषि-मुनियों साधु-संतों ने योग रूपी अमृत को जनसामान्य के बीच में बांटते हुए संसार को इसकी दिव्य शक्तियों से परिचित कराया। वर्तमान समय में योग गुरु माननीय स्वामी रामदेव जी ने अपने अथक प्रयासों द्वारा भारत ही नहीं संपूर्ण जगत में इसका व्यापक प्रचार प्रसार किया है, जिसका फल यह हुआ कि विश्व के एक विशाल मानव समाज ने अपने जीवन में योग को आत्मसात करते हुए स्वयं को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ बनाते हुए अपने देश की उन्नति में योगदान दिया। विषय व्यापक है, समय का अभाव है इसलिए अपने मुख्य बिंदु कोरोना व्याधि की तरफ चलते हैं, जिसने आज संपूर्ण विश्व में हाहाकार मचा रखा है। विश्व में करोड़ों की आबादी इस व्याधि से त्रस्त है। लाखों लोग काल के गाल में समा चुके हैं। लाखों व्यक्ति अभी भी बीमारी के संक्रमण से जूझ रहे हैं। मानव जीवन को बचाने के लिए सभी देशों की सरकारें अस्पतालों, कोविड वैक्सीन विभिन्न दवाइयों (एलोपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक) द्वारा अपने हर संभव प्रयासों द्वारा कोरोना महामारी से पार पाने के लिए युद्ध स्तर पर कोशिशें कर रही हैं। समाज सेवा से जुड़े व्यक्तियों के अनेक समूह भी अपने तन, मन, धन से इसमें भागीदारी कर रहे हैं। एक योगाचार्य व आयुर्वेद का ज्ञाता होने के नाते मैं भी भारत देश की जनता की सेवा के लिए अपना एक छोटा सा योगदान दे रहा हूं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि देश की जनता भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए मेरे द्वारा बताए गए योग के विभिन्न प्राणायामों, आसनों और विभिन्न आयुर्वेदिक प्राकृतिक चीजों का सेवन करके स्वयं को कोरोना संक्रमण से बचा सकते हैं और संक्रमित रोगी अपने चिकित्सक की सलाह से मेरे द्वारा बताए नुस्खों योग क्रियाओं को करके जल्दी ठीक हो सकते हैं।
ये तीन प्राणायाम हमारे फेफड़ों को संक्रमण से बचाने में व इम्युनिटी बढ़ाने में विशेष कारगर हैं-

१. भस्त्रिका: किसी भी ध्यान वाले आसन में जैसे सुखासन, पद्मासन या सिद्धासन में किसी मैट, दरी या चादर पर सीधे बैठ जाएं। कमर, गर्दन सीधा रखते हुए दोनों हाथों को घुटनों पर ध्यान मुद्रा में रखें। श्वांस को धीरे-धीरे दोनों नासिका रंध्रों से फेफड़ों भरें व छोडं़े। ध्यान रहे श्वांस लेने और छोडऩे का अनुपात समान हो। आंखें बंद करके पूरा ध्यान श्वांस प्रश्वांस पर रखें। दो से 3 मिनट अभ्यास करें। उच्च रक्तचाप व हृदय रोगी इस को तीव्र गति से ना करें।

२.कपाल भांति: किसी भी ध्यानात्मक आसन से पूर्व की भांति सीधे बैठ जाएं। श्वांस को सामान्य करें फिर थोड़ा प्रेशर के साथ नासिका से श्वास को बाहर फेंकें। उसी समय पेट को अधिकतम पीछे की तरफ खींचे। बार-बार इस क्रिया को दोहराएं। 5 मिनट करें।

३.अनुलोम विलोम: पूर्व की भांति बैठ जाएं। पहले श्वांस को सामान्य करें। फिर अपने दाएं हाथ को उठाकर मुंह के सामने लाते हुए अंगूठे से दाहिने नासिका रंध्र को बंद करते हुए बाएं नासिका रंध्र से श्वांस भरें और दाएं हाथ की मध्यमा और अनामिका उंगलियों से बाएं रंध्र को बंद करते हुए अंगूठे को हटाते हुए दाएं रंध्र से निकाल दें। फिर दाहिने रंध्र से भर कर बाएं से निकाल दें। इस क्रिया को 5 मिनट तक करें।
विशेष आयुर्वेदिक सुझाव
१. गर्म पानी में थोड़ा-सा सेंधा नमक डालकर रोज दो से तीन बार गरारे करने से गला संक्रमण से मुक्त रहता है।
२. दो कप पानी में पांच तुलसी पत्र दो लौंग, एक पिप्पली व एक चुटकी दालचीनी पाउडर डालकर हल्की आंच पर इतना पकाएं कि एक कप पानी रह जाए। सुबह-शाम पीने से इम्युनिटी बढ़ती है।
३. रात में सोते समय एक गिलास गर्म दूध में 5 ग्राम शुद्ध हल्दी पाउडर डालकर रोज पिएं।
नोट-पाठकगण अपनी किसी भी जीर्ण/ पुरानी बीमारी से संबंधित किसी भी समस्या के लिए गुरुजी से व्हाट्सएप नंबर पर मैसेज करें।
प्रस्तुति-
वी. प्रकाश तनोट
वैदिक योग चिकित्सक
(पूर्व वैदिक चिकित्सक एमजेबीवाईएस, महाराष्ट्र)
संपर्क-6395575501