
वैदिक योग चिकित्सक
‘योग’ सम्पूर्ण मानव जाति को शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए प्रतिदिन करने का एक ऐसा उपाय है, जिससे व्यक्ति आजीवन स्वस्थ रहते हुए अपनी जीवन यात्रा पूर्ण करता है। हमारे देश के महान योग ऋषि पंतजलि ने अपने विवेक और आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर योग को आठ भागों में विभाजित किया है। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि। उनके अनुसार इन आठ नियमों का पालन करने वाला मनुष्य ही एक सम्पूर्ण योगी होता है। वस्तुत: देखा जाये तो भिन्न-भिन्न व्यक्तियों, संतों, ऋषियों ने अपने ज्ञान और प्राचीन ग्रंथों के आधार पर योग शब्द की भिन्न-भिन्न व्याख्याएं की हैं, जिन पर फिर कभी मंथन या चिंतन करेंगे। इस वक्त सम्पूर्ण विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है तो इसी विषय को पूर्व की भांति आगे बढ़ाते हुए आज हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये योग के दो अन्य प्राणायाम 1. सूर्यांग प्राणायाम और 2. चन्द्राग प्राणायाम पर चर्चा करेंगे। इन प्राणायामों का अभ्यास करने से श्वसन तंत्र मजबूत होता हैं। साथ ही शरीर के मुख्य अंग जैसे हृदय, मस्तिष्क, फेफड़ों, लीवर, किडनी, आंतों और आमाश्य को शक्ति मिलती है।

1. सूर्यांग प्राणायाम– किसी भी ध्यानात्मक आसन से सीधे बैठ जायें। पहले श्वांस को सामान्य करें फिर दाहिने हाथ की मध्यमा व अनामिका अंगुलियों से बाईं नासिका को बंद करके दाहिनी नासिका से श्वांस भरकर दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करके बाईं नासिका से निकाल दें। बार-बार इस क्रिया को करें। ध्यान रहे श्वास हमेशा दाहिनी नासिका से लेना है और बायीं नासिका से छोडऩा है। 2 से 3 मिनट अभ्यास करें।

2. चंद्राग प्राणायाम- पूर्व की भांति ध्यानात्मक आसन में बैठ जायें। यह सूर्यांग का विपरीत प्राणायाम है अर्थात इस प्राणायाम में दाहिने हाथ के अंगूठे से दाहिनी नासिका को बंद करके बाईं नासिका से श्वांस भरकर मध्यमा व अनामिका अंगुलियों से बाईं नासिका को बंद करके हमेशा दाहिनी नासिका से बाहर निकालना है। बार-बार इस क्रिया को करें। ध्यान रहे श्वांस हमेशा बाईं नासिका से लेना है व दाहिनी नासिका से छोडऩा है। 2 से 3 मिनट अभ्यास करें।
अब चलते हैं खानपान की तरफ। यदि योग के साथ-साथ एक रोग प्रतिरोधक आहार भी लिया जाये तो सोने पर सुहागा वाली कहावत सिद्ध होती है। कोरोना संक्रमण से हमें बचाने व संक्रमित होने की स्थिति में विटामिन ‘सी’ जिंक और विटामिन ‘डी’ का सेवन हमारे बहुत काम आता है।
विटामिन ‘सी’ से सम्पन्न फल नींबू, मौसमी, संतरा, ब्रोकली, कीवी, पपीता, आंवला, स्ट्रावरी, अमरूद, अन्नास, मिर्च, अंकुरित मूंग आदि।
‘जिंक’ से सम्पन्न खाद्य पदार्थमशरूम, तिल, पालक, मसूर दाल, चने, काजू, शतावर, सोयाबीन आदि।
विटामिन ‘डी’ से सम्पन्न खाद्य पदार्थसभी डेयरी प्रोडक्ट जैसे दूध, पनीर आदि।
नोट: यदि पाठकगण किसी भी प्रकार की जीर्ण, साध्य या फिर कोई ऐसी बीमारी से पीडि़त हैं, जिसका इलाज करते-कराते आप थक चुके हैं और आपने उसको असाध्य मान लिया है। कैसा भी, कितना भी पुराना (स्त्री/पुरुष) रोग हो नीचे दिये नम्बर पर व्हाटसअप या ईमेल करें। आपको आपकी बीमारी का सटीक, स्थाई व शीघ्र प्रभावी आयुर्वेदिक उपचार बताया जाएगा।
वी. प्रकाश तनोट
वैदिक योग चिकित्सक
(पूर्व वैदिक चिकित्सक एमजेबीवाईएस, महाराष्ट्र)
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