पश्चिम उत्तर प्रदेश में भाजपा की जमीन पर वोटों की फसल उगाने की तैयारी में रालोद। विधानसभा चुनाव के पहले घेराबंदी की कवायद।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव नजदीक आ रहा है। सभी राजनीतिक दलों में उठापटक भी शुरू हो गई है। हर दल सत्तारूढ़ भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने की जुगत में है। इसके लिए जहां एक ओर सभी विपक्षी दल भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर कर जनता का ध्यान अपनी ओर करने का अभियान चलाए हुए हैं, वहीं चुनाव के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर आने की रणनीति पर भी काम कर रहे हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय लोकदल ने जाट-मुस्लिम समीकरण को अमलीजामा पहनाने की मुहिम शुरू कर दी है। हाल ही में पश्चिम उत्तर प्रदेश के दो बड़े मुस्लिम चेहरों का रालोद में शामिल होना इसी मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। खास बात यह है कि यह दोनों ही बहुजन समाज पार्टी के मुस्लिम चेहरे के रूप में पहचाने जाते रहे हैं। ये हैं पश्चिम उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुस्लिम नेता पूर्व राज्यसभा सांसद वरिष्ठ पत्रकार शाहिद सिद्दीकी और पश्चिम उत्तर प्रदेश में कई साल तक बसपा की मुस्लिम भाईचारा कमेटी के लिए कई मंडलों में काम करने वाले गौहर इकबाल।

आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक बड़ा सियासी बदलाव सामने रहा है। किसान आंदोलन के चलते जाट मुस्लिम समीकरण बड़ी तेजी से परवान चढ़ रहे हैं। हाल ही में पश्चिम उत्तर प्रदेश के कद्दावर मुस्लिम नेता पूर्व राज्यसभा सांसद शाहिद सिद्दीकी के रालोद का दामन थामने से मुस्लिम जाट समीकरण को और ताकत मिलती दिख रही है। कभी गांधी परिवार के करीब रहे शाहिद सिद्दीकी का शुमार देश के राष्ट्रीय नेताओं में होता है। वह अपने 24 साल के राजनीतिक सफर में भाजपा को छोड़कर उत्तर प्रदेश के सभी प्रमुख दलों का हिस्सा रह चुके हैं।

इसी तरह गौहर इकबाल भी बसपा में एक मजबूत मुस्लिम चेहरा थे। उन्होंने बिजनौर जिले से लेकर पश्चिम उत्तर प्रदेश तक में बसपा में रहकर कई मंडलों में काम किया। मुस्लिम भाईचारा कमेटी में कई साल तक बसपा को मजबूत करने का काम किया। वहीं 2012 में महान दल से विधानसभा का चुनाव लड़ा। उसके बाद बसपा में शामिल हुए और 2017 में नूरपुर विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, मगर बदकिस्मती से चुनाव हार गए।
राजनैतिक जानकारों का कहना है कि शाहिद सिद्दीकी और गौहर इकबाल के राष्ट्रीय लोकदल में शामिल होने से पश्चिम उत्तर प्रदेश में जाट मुस्लिम समीकरण को ताकत मिलेगी। इस मजबूत समीकरण से भारतीय जनता पार्टी की जमीन उखड़ सकती है, अगर ये समीकरण आगामी विधानसभा चुनाव में परवान चढ़ा तो पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक बड़ा सियासी बदलाव नजर आएगा। रालोद में मुस्लिम नेताओं का शामिल होना इस बात का संकेत दे रहा है कि पश्चिम उत्तर प्रदेश में अपने पुराने मतभेद भुलाकर जाटलैंड पर मुस्लिम खेती करने को तैयार नज़र आ रहा है।
मुस्लिम जाटों की नज़दीकियां से जमीन खिसकती देख भाजपा का शीर्ष नेतृत्व खासा परेशान नज़र आ रहा है। यह तय है कि इस समीकरण से उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बहुत बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा।