
🙏बुरा मानो या भला🙏 2022 में किसान और ब्राह्मण किंगमेकर की भूमिका में होंगे—मनोज चतुर्वेदी
2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होने तय हैं, और ऐसे में सभी राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी गोटियां बैठानी शुरू कर दी हैं। राजनीतिक पंडितों ने भी अपने-अपने कयास लगाने शुरू कर दिए हैं। …लेकिन हमारा मानना है कि इस बार पूर्वी उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण समाज और पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान किंगमेकर की भूमिका अदा करेगा। यही कारण है कि सत्ताधारी पार्टी से लेकर तमाम विपक्ष किसानों और ब्राह्मणों को लुभाने में लगा हुआ है। भाजपा के लिए यह दोनों अर्थात ब्राह्मण समाज और किसान ही सबसे बड़ी चुनौती बनेंगे।
सपा बसपा डाल रहे डोरे- बसपा और सपा ने भी ब्राह्मणों और किसान वर्ग को लुभाने के लिए कमर कस ली है। अगर राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट-मुस्लिम समीकरण साधने में सफ़ल होता है तो भाजपा को लोहे के चने चबाने पड़ेंगे और यदि पूर्वी उत्तर प्रदेश में बसपा दलित-ब्राह्मण भाईचारा को बनाये रखने में सफल रहती है तो भाजपा और सपा सहित कांग्रेस भी चारों खाने चित्त नज़र आएगी।
BJP का प्लस पॉइंट- भाजपा के पक्ष में सबसे अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का हिंदूवादी चेहरा अभी भी ज्यों का त्यों बरकरार है और ब्राह्मण समाज किसी भी रूप में सपा को समर्थन नहीं देगा। कांग्रेस की अपनी हालत बहुत पतली है और जतिन प्रसाद के भाजपा में जाने के बाद तो कांग्रेस हाशिये पर चली गई है।
करना होगा कूटनीतिक रूप से समझौता- भाजपा को यदि जीतना है तो उसे किसानों के साथ कूटनीतिक रूप से समझौता करना ही होगा और जाट-मुस्लिम समीकरण बनने से रोकना होगा। किसानों की समस्याओं को नम्रतापूर्वक सुनना और उनको हल करने के हरसंभव प्रयास करने होंगे। किसान नेताओं को विश्वास में लेकर किसान आंदोलन को किसी भी हाल में रोकना होगा। यदि अगले 6 महीने तक किसानों का आंदोलन यूं ही चलता रहा तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा को बहुत भारी नुकसान होगा और राष्ट्रीय लोकदल पश्चिमी उत्तरप्रदेश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी।
ब्राह्मण समाज को मनाना सबसे टेढ़ी खीर- क्योंकि ब्राह्मण ही एक ऐसा समाज है जो किसी भी व्यक्ति विशेष या संगठन विशेष के पीछे नहीं चलता, दूसरे शब्दों में कहें तो ब्राह्मण कभी किसी को अपना नेता नहीं मानते क्योंकि हर ब्राह्मण अपने आपको ही नेता समझता है। पिछले कुछ समय से जिस प्रकार विपक्ष ने योगी सरकार को ब्राह्मण विरोधी साबित करने का प्रयास किया है, उसमें भले ही वह पूरी तरह से सफल न हो पाए हों, लेकिन उसका कुछ न कुछ दुष्प्रभाव अवश्य होगा और उसी को रोकने के लिए भाजपा और संघ ने अभी से रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
कुल मिलाकर आसान भाषा में कहें तो 2022 में बिना ब्राह्मण और किसान के कोई भी बादशाह नहीं बन सकता।

🖋️ मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है।