बिजनौर। सरकार से हर माह भारी भरकम वेतन लेने के बावजूद शिक्षण कार्य छोड़ नेतागिरी में व्यस्त रहने वाले कुछ शिक्षकों पर बीईओ प्रदीप कौशिक ने नकेल कसी तो उन्हें घेरने का प्रयास किया गया। कुछ शिक्षकों ने उन पर तरह तरह के आरोप लगाए लेकिन जांच में अधिकांश आरोप गलत पाए गए। कहा जाता है कि शिक्षक नेताओं को बीएसए महेशचंद का संरक्षण प्राप्त था। शायद यही कारण रहा कि शिक्षक नेताओं की गलतियों को लगातार नजर अंदाज किया गया, वहीं जांच में लगभग निर्दोष पाए जाने के बाद बीईओ प्रदीप कौशिक का स्थानांतरण नूरपुर कर दिया गया। शिक्षा विभाग के राजपत्रित अधिकारियों ने बीएसए के इस फैसले का विरोध किया लेकिन कोई हल नहीं निकला। श्री कौशिक अपने साथ हुए इस अन्याय के सामने नहीं झुके तो उन्हें जिले से कोसों दूर प्रयागराज स्थनांतरित कर दिया गया। अधिकारियों से न्याय ना मिलने पर श्री कौशिक ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया ! समय ने करवट ली और डाइट कालेज में उप प्राचार्य के पद पर स्थानांतरण होने के बावजूद बीएसए की कुर्सी पर जमे महेशचन्द का 16 जून को जिले से बिस्तर बंध गया, वहीं उच्च न्यायालय ने प्रदीप कौशिक को वापस खण्ड शिक्षा अधिकारी हल्दौर बनाए जाने के आदेश जारी कर दिए। हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें जिले के शिक्षा विभाग की ओर से फिर से बीईओ हल्दौर की कमान सौंप दी गई। प्रदीप कौशिक ने शनिवार को खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय हल्दौर पहुंच कर अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया। उनकी कार्यशैली व बेसिक शिक्षा कार्यप्रणाली में सुधार के जज्बे से प्रभावित शिक्षकों, कर्मचारियों व अन्य लोगों में खुशी का माहौल है। ये लोग बीईओ प्रदीप कौशिक की जीत को सत्य की जीत बता रहे हैं, वहीं उनसे खफा कुछ शिक्षकों की नींदे उड़ी हुई हैं क्योंकि उन्हें अब शायद स्कूलों में जाकर शिक्षण कार्य करना पड़ेगा।