सम्पूर्ण जिला बिजनौर में तत्काल प्रभाव से आगामी 17 अगस्त, 21 तक धारा-144 लागू, उक्त धारा के किसी भी अंश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध धारा-188 के अंतर्गत की जाएगी कार्यवाही- जिला मजिस्ट्रेट उमेश मिश्रा।

बिजनौर (अनुकूल शर्मा, एकलव्य बाण समाचार)। सम्पूर्ण जिला बिजनौर में निषेधाज्ञा के अंतर्गत धारा 144 लागू कर दी गई है। जिला मजिस्ट्रेट उमेश मिश्रा द्वारा जारी उक्त आशय की जानकारी देेते हुए अपर जिलाधिकारी प्रशासन भगवान शरण दास ने बताया कि वर्तमान में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कतिपय प्रतिबंधात्मक आदेश लागू किया जाना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त दिल्ली बार्डर पर किसान यूनियन एवं अन्य किसान संगठनों द्वारा किए जा रहे धरना प्रदर्शन सम्बन्धी गतिविधियां जिले में विद्यमान हैं। विभिन्न समुदायों के त्योहार आसन्न हैं।उक्त परिस्थितियों के दृष्टिगत विश्वस्त सूत्रों एवं विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों से संज्ञानित है कि जिले में तेजी से चल रही राजनीतिक गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में कुछ वांछनीय तथा असामाजिक तत्व सक्रिय होकर जिले की लोक प्रशांति एवं साम्प्रदायिक सौहार्द्र को प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उक्त आधार पर जिला बिजनौर में लोक प्रशांति बनाए रखने के लिए तत्काल प्रभाव से आगामी 17 अगस्त,21 तक दण्ड प्रक्रिया की धारा-144 के अधीन निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि उक्त आदेश के किसी भी प्रतिबंध का उल्लंघन करने वाले के विरुद्ध धारा-188 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।
क्या है धारा 144- सीआरपीसी की धारा 144 शांति कायम करने के लिए उस स्थिति में लगाई जाती है, जब किसी तरह के सुरक्षा संबंधित खतरे या दंगे की आशंका हो। धारा 144 लागू होने के बाद इंटरनेट सेवाओं को भी आम पहुंच से ठप किया जा सकता है। यह धारा लागू होने के बाद उस इलाके में हथियारों के ले जाने पर भी पाबंदी होती है।
‘कोड ऑफ़ क्रिमिनल प्रोसीजर’ सीआरपीसी की धारा 144 के तहत डीएम, एसडीएम या एग्ज़िक्यूटिव मजिस्ट्रेट को यह अधिकार मिलता है कि वो क़ानून व्यवस्था बिगड़ने पर राज्य सरकार की ओर से एक आदेश जारी कर अपने क्षेत्र में इस निषेधाज्ञा को लागू कर सकते हैं। इसके अनुसार चार या चार से ज़्यादा लोगों को एक स्थान पर एकत्र होने की इजाज़त नहीं होती। अधिकारी धारा 144 का प्रयोग क़ानूनों के उल्लंघन की आशंका होने पर भी कर सकते हैं, जैसे प्रदर्शनस्थल पर भीड़ के जमा होने से पहले भी वहां इसका प्रयोग किया जा सकता है। यह क़ानून राज्य सरकारों और स्थानीय पुलिस को कई विवेकाधीन अधिकार भी देता है। लोगों की सुरक्षा, क़ानून-व्यवस्था, संभावित ख़तरों का हवाला देकर इस निषेधाज्ञा का उपयोग किसी एक व्यक्ति को प्रतिबंधित करने के लिए भी किया जा सकता है और निषेधाज्ञा की अवहेलना करना क़ानूनन जुर्म है।