
बिजनौर। कहते हैं विनाश काले विपरीत बुद्धि। कुछ यही सटीक बैठ रहा है जनपद बिजनौर के भाजपा नेताओं पर। उन्हें समय नहीं है किसी से बात करने का। अपनी मर्जी, अपनी धुन में रमे हुए हैं। लगभग हर विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की कार्यप्रणाली से त्रस्त हो चुकी है जनता। उनकी सुनने वाला कोई नहीं है। हाल ही की सबसे बड़ी समस्या अंधाधुंध बिजली कटौती है। जिले की जनता खून के आंसू रो रही है, लेकिन भाजपा नेता अपने मजे में हैं। कोरोना की तरह …लहर बार बार नहीं आती, अगर इनका यही रवैया रहा तो आगामी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। जनता की विभिन्न समस्याओं को लेकर विपक्षी पार्टियों के नेता ही कुछ कर रहे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी बड़े!- बिजनौर भारतीय जनता पार्टी के छोटे-छोटे नेताओं का हाल ये है कि वो स्वयं को राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी कम नहीं समझते। जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में एक नेता जी को मीडिया को विज्ञापन देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। बताया गया है कि वो मीडिया को छोटा और बड़ा में वर्गीकृत करते हैं। वो ये भूल जाते हैं कि उनके कार्यकाल के मामले तलाश कर जब बखिया उधेड़ी जाएगी तो क्या मंजर होगा! ये भी भूल जाते हैं कि अभी भी इतने बड़े नेता नहीं बन सके हैं कि सभी को तिरस्कृत कर आगामी राजनीतिक सफर तय कर सकेंगे। यही नहीं, वो ये भी भूल जाते हैं कि छोटे से नेता से अब वो मात्र कुछ बड़े स्तर पर आ सके हैं, अभी भी जिला स्तर पर नहीं। …बाकी अगली पोस्ट में….