
एक फोटोग्राफर जो अपने अंतिम सफर पर निकल ही गया
अनिल सक्सेना अपनी जिंदगी के अंतिम सफर पर निकल ही गये। वह कई साल से पार्किंसन की बीमारी से ग्रस्त थे और एक ऐसी जिंदगी जी रहे थे जिसके कोई मायने ही नहीं थे। फिर भी पूरा परिवार पूरे तौर पर उनको बचाने में लगा रहा और बहुत हद तक वह इसमें कामयाब भी हुआ। आज भी उनको बचाने की बहुत कोशिश की गई लेकिन मौत ने उमको अपने आगोश में ले लिया। अनिल सक्सेना लखनऊ की रेडियो मिर्ची की मशहूर आरजे सैम के पिता थे। पिछले दो 1 साल से मुंबई के कोकिला बेन हॉस्पिटल में उनका इलाज चल रहा था । सीतापुर से लखनऊ जा बसे अनिल सक्सेना ने लखनऊ में अपोलो हॉस्पिटल मे अपना इलाज कराया लेकिन हालात न सुधरने के चलते उन्हें मुंबई ले जाया गया । उनकी मौत की सूचना अभी थोड़ी देर पहले मिली। अनिल सक्सेना शुरू से ही उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन से जुड़े रहे । वह प्रदेश यूनियन के नेताओं के बहुत करीब थे और उनको आईएफडब्ल्यूजे के प्रेसिडेंट डॉ.के विक्रम राव का आशीर्वाद प्राप्त था। देश में आईएफडब्ल्यूजे के होने वाले सभी सम्मेलनों में वह जाते थे और यूनियन के लिए फोटोग्राफी करते थे। उनकी खींची हुई तस्वीरें यूनियन की मैगजींस में छपती थी। पत्रकारों का जो दल जर्मनी गया था, उसने वह शामिल थे । श्रीलंका का भ्रमण भी उन्होंने किया था । मुझे याद पड़ता है कि श्रीलंका में अशोक वाटिका में शायद सुंदरकांड उन्होंने पढ़ा था जहां डॉ. के विक्रम राव और डॉक्टर सुधा राव भी मौजूद थी। दैनिक जागरण के सांस्कृतिक संवाददाता के रूप में उन्होंने कई सांस्कृतिक लेख लिखे और प्रेस फोटोग्राफर का काम किया । अपने wit and humour के लिए मशहूर अनिल सक्सेना अब हमसे बहुत दूर चले गए हैं फिर कभी वापस न लौटने के लिए। उन्हें हमारी ओर से अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि
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