Golden Boy: कभी जैवलिन खरीदने को भी नहीं थे पैसे!

जैवलिन खरीदने और कोच रखने के पैसे नहीं थे नीरज चोपड़ा के पास।

नई दिल्ली। नीरज ऐसे ही गोल्डन ब्वॉय नहीं बने, इसके पीछे संघर्ष की एक लंबी कहानी है। नीरज के पास एक समय जैवलिन खरीदने का भी पैसा नहीं था, ना ही कोच रखने का। वह एक एथलीट होने के साथ-साथ भारतीय सेना में सूबेदार पद पर भी तैनात हैं और सेना में रहते हुए अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बदौलत इन्हे सेना में विशिस्ट सेवा मैडल से भी सम्मानित किया जा चुका है।

टोक्यो ओलंपिक 2020 का जिक्र जब भी होगा, भारत के ‘गोल्डन ब्वॉय’ नीरज चोपड़ा का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। टोक्यो ओलंपिक में भारत का आखिरी इवेंट जैवलिन थ्रो ही था और नीरज पर सभी की निगाहें टिकी हुई थीं। नीरज के गोल्ड मेडल से पहले भारत के खाते में छह मेडल आ चुके थे, जिसमें दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। नीरज ने भारत की झोली में गोल्ड मेडल डालकर देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

नीरज चोपड़ा ट्रैक और फील्ड एथलीट प्रतिस्पर्धा में भाला फेंकने वाले खिलाड़ी हैं। नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंककर टोक्यो ओलंपिक 2020 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है |अंजू बॉबी जॉर्ज के बाद किसी विश्व चैम्पियनशिप स्तर पर एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक को जीतने वाले वह दूसरे भारतीय हैं। [1]

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक गोल्ड मेडल जीत करोड़ों रुपए का ईनाम पाने वाले नीरज के पास एक समय 1.5 लाख रुपए का जैवलिन खरीदने का भी पैसा नहीं था, ना ही कोच रखने का। उन्होंने इन कमियों को अपनी मेहनत से पूरा किया और ओलंपिक खेलों में भारत को एथलेटिक्स पहला गोल्ड मेडल दिलाया। इतना ही नहीं इंडिविजुअल गोल्ड मेडल जीतने वाले नीरज दूसरे भारतीय हैं। इससे पहले 2008 में शूटिंग में अभिनव बिंद्रा ने इंडिविजुअल गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

व्यक्तिगत जीवन

नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा राज्य के पानीपत नामक शहर के एक छोटे से गाँव खांद्रा में एक किसान रोड़ समुदाय में हुआ था। नीरज के परिवार में इनके पिता सतीश कुमार पेशे से एक छोटे किसान हैं और इनकी माता सरोज देवी एक गृहणी है। जैवलिन थ्रो में नीरज की रुचि तब ही आ चुकी थी जब ये केवल 11 वर्ष के थे और पानीपत स्टेडियम में जय चौधरी को प्रैक्टिस करते देखा करते थे।

सेना से विशिष्ट सेवा मेडल- वह एक भारतीय एथलिट हैं जो ट्रैक एंड फील्ड के जेवलिन थ्रो नामक गेम से जुड़े हुए हैं तथा राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। नीरज एक एथलीट होने के साथ-साथ भारतीय सेना में सूबेदार पद पर भी तैनात हैं और सेना में रहते हुए अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बदौलत इन्हे सेना में विशिष्ट सेवा मैडल से भी सम्मानित किया जा चुका है। [2]

शिक्षा-नीरज चोपड़ा ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई हरियाणा से ही की है। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई को पूरा करने के बाद नीरज चोपड़ा ने बीबीए कॉलेज ज्वाइन किया था और वहीं से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की थी। नीरज चोपड़ा के कोच का नाम उवे हैं जो कि जर्मनी देश के पेशेवर जैवलिन एथलीट रह चुके हैं। (साभार)

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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