तालिबान को खुला चैलेंज देने वाली लेडी गवर्नर कैद

तालिबान को खुला चैलेंज देने वाली लेडी गवर्नर हुईं कैद, महिला एंकर पर बैन शुरू

आखिरी उम्मीद भी खत्म: तालिबान को खुला चैलेंज देने वाली लेडी गवर्नर हुईं कैद, महिला एंकरों पर बैन लगाना शुरू

काबुल : अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद तालिबान एक तरफ सरकार बनाने में जुटा है। दूसरी ओर वॉरलॉर्ड्स को ढूंढ-ढूंढकर पकड़ रहा है। पहले तालिबान ने वॉरलॉर्ड्स इस्माइल खान को पकड़ा था। अब इसके लड़ाकों ने अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नर सलीमा मजारी को पकड़ लिया है। मजारी बल्ख प्रांत की चारकिंत जिले की गवर्नर हैं। तालिबान से लड़ने के लिए उन्होंने अपनी आर्मी बनाई थी और खुद भी हथियार उठाए थे। सलीमा आखिरी वक्त तक तालिबान का सामना करती रहीं।विज्ञापन

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, हजारा समुदाय के सूत्रों इस बात की पुष्टि की है कि अफगानिस्तान की लेडी गवर्नर सलीमा मजारी अब तालिबान के हाथों पकड़ी जा चुकी हैं। अफगानिस्तान की सलीमा मजारी बल्ख प्रांत की चारकिंत ज़िले की महिला गर्वनर हैं, जो बीते कुछ दिनों से तालिबान से लोहा लेने के लिए अपनी सेना बना रही थीं। यह घटना ऐसे वक्त में सामने आई है, जब तालिबान ने सभी अफगान सरकारी अधिकारियों के लिए “सामान्य माफी” की घोषणा की और उनसे काम पर लौटने का आग्रह किया, जिसमें शरिया कानून के अनुरूप महिलाएं भी शामिल थीं।अंतर्राष्ट्रीय :

अफगानिस्तान की पहली महिला गवर्नरो में से एक सलीमा मजारी को तालिबान ने कैद किया।

जब अफगानिस्तान में तालिबान कत्लेआम मचा रहा था और बाकी के नेता देश छोड़कर भाग रहे थे या फिर सरेंडर कर रहे थे, तब अपने लोगों को बचाने के लिए महिला गवर्नर सलीमा मजारी अपनी सेना खड़ी कर रही थीं और लोगों को साथ आऩे की अपील कर रही थीं। सलीमा ने अपने लोगों को बचाने के लिए तालिबान से डंटकर मुकाबला किया और पकड़े जाने से पहले तक बंदूक उठाकर अपने लोगों की रक्षा की। उनकी फौज में शामिल लोग अपनी जमीन और मवेशी बेच कर हथियार खरीद रहे थे और उनकी सेना में शामिल हो रहे थे। सलीमा मजारी खुद पिकअप की फ्रंट सीट पर बैठती थीं और जगह-जगह जाकर लोगों से अपनी सेना में शामिल होने को कहती थीं। 

अफगानिस्तान मूल की सलीमा माजरी का जन्म 1980 में एक रिफ्यूजी के तौर पर ईरान में हुआ, जब उनका परिवार सोवियत युद्ध से भाग गया था। उनकी पढ़ाई-लिखाई ईरान में ही हुई है। तेहरान विश्वविद्यालय से स्नातक होने के बाद उन्होंने दशकों पहले अपने माता-पिता को छोड़कर देश (अफगानिस्तान) जाने का फैसला करने से पहले विश्वविद्यालयों और अंतर्राष्ट्रीय प्रवासन संगठन में विभिन्न भूमिकाएं निभाईं।  2018 में उन्हें पता चला कि चारकिंत जिला के गवर्नर पद की वैकेंसी आई है। यह उनकी पुश्तैनी मातृभूमि थी, इसिलए उन्होंने इस पद के लिए आवेदन भर दिया। इसके बाद वह गवर्नर के लिए चुनी गईं। तालिबान के खतरे को देखते हुए और जिले को सुरक्षित करने के लिए उन्होंने सिक्योरिटी कमिशन की स्थापना की थी, जो स्थानीय सेना में भर्ती का काम देखता था। हिरासत में होने से पहले सलीमा अपने कार्यकाल में तालिबानियों के नाक में दम कर चुकी हैं।

तालिबान ने मंगलवार को पूरे अफगानिस्तान में ‘आम माफी’ की घोषणा की और महिलाओं से उसकी सरकार में शामिल होने का आह्वान किया। इसके साथ ही तालिबान ने लोगों की आशंका दूर करने की कोशिश की, जो एक दिन पहले उसके शासन से बचने के लिए काबुल छोड़कर भागने की कोशिश करते दिखे थे और जिसकी वजह से हवाई अड्डे पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा होने के बाद कई लोग मारे गए थे। अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाला और कई शहरों को बिना लड़ाई जीतने वाला तालिबान वर्ष 1990 के क्रूर शासन के उलट खुद को अधिक उदार दिखाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन कई अफगान अब भी आशंकित हैं।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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