अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित किसी भी व्यक्ति की पहचान दिखाने के लिए ‘दलित’ शब्द के प्रयोग से परहेज़ किया जाए: अनुसूचित जाति आयोग

चंडीगढ़ (एजेंसी)। पंजाब के नव-नियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के लिए ‘दलित’ शब्द का प्रयोग किए जाने का नोटिस लेते हुए पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की चेयरपर्सन श्रीमती तजिन्दर कौर ने मंगलवार को हिदायत जारी की, कि सोशल मीडिया पेज, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अनुसूचित जाति से सम्बन्धित किसी भी व्यक्ति की पहचान को दिखाने के लिए ‘दलित’ शब्द का प्रयोग न किया जाए। इस संबंधी जानकारी देते हुए श्रीमती तजिन्दर कौर ने कहा कि ‘संविधान या किसी विधान में ‘दलित’ शब्द का जि़क्र नहीं मिलता और इसके अलावा भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा पहले ही राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों को इस संबंधी निर्देश दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के माननीय हाईकोर्ट के ग्वालियर बेंच की तरफ से तारीख़ 15.01.2018 को केस नंबर डब्ल्यू.पी. 20420 ऑफ 2017 (पीआईएल)-डॉ. मोहन लाल माहौर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य के अंतर्गत नीचे लिखे अनुसार निर्देशित किया गया है:….. कि केंद्र सरकार /राज्य सरकार और इसके अधिकारी /कर्मचारी अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के लिए ‘दलित’ शब्द का प्रयोग करने से परहेज़ करें क्योंकि यह भारत के संविधान या किसी कानून में मौजूद नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि माननीय हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों /केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि अनुसूचित जातियों से संबंधित व्यक्तियों के लिए दलित’’ की बजाय अनुसूचित जाति शब्द का प्रयोग किया जाए। इस संबंधी विभिन्न मीडिया समूहों द्वारा किए जा रहे उल्लंघनों की रिपोर्टों पर कार्रवाही करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने प्राईवेट सैटेलाइट टीवी चैनलों को नोटिस जारी करके उनको बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा पहले दिए गए आदेशों का पालन करते हुए रिपोर्टों में ‘दलित’ शब्द का प्रयोग न करने के लिए कहा है।
विदित हो कि पंजाब राज्य अनुसूचित जाति आयोग की चेयरपर्सन तेजिन्दर कौर ने 13 सितम्बर, 2021 को मुख्य सचिव विनी महाजन को लिए पत्र में जाति आधारित नामों वाले गाँवों, कस्बों और अन्य स्थानों जिनके नामों में चमार, शिकारी आदि शामिल है, को बदलने और ऐसे शब्दों का प्रयोग करने से परहेज़ करने के लिए कहा। इसके अलावा साल 2017 में राज्य सरकार की तरफ से जारी निर्देशों के सख्ती से पालन को यकीनी बनाकर सरकारी कामकाज में हरिजन और गिरिजन शब्द न बरतने का भी निर्देश दिया था।
