जिस साड़ी को हम ठुकरा रहे हैं, आज दुनिया के कई देश उसे अपना रहे हैं

जिस साड़ी को हम ठुकरा रहे हैं आज दुनिया के कई देश उसे अपना रहे हैं

जिस साड़ी को हम ठुकरा रहे हैं आज दुनिया के कई देश उसे अपना रहे हैं

आज समय बदल रहा है। जींस पैंट शर्ट, पंजाबी सलवार−सूट ज्यादा पहने जाने लगे। साड़ी को पहनने की परेशानी से बचने के लिए महिलाओं और युवतियों ने टॉप−जीन्स, सलवार−सूट स्वीकार कर लिया। भारतीय महिलाओं का सबसे पसंदीदा परिधान साड़ी अब समारोह में पहनी जाने लगी।

हाल ही में दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में एक महिला को इसलिए प्रवेश नहीं दिया गया कि वह साड़ी पहने थी। समाचार आया। बड़ा अजीब-सा लगा। भारत में महिलाओं की वेशभूषा में सदियों से साड़ी स्वीकार्य है। महिलाएं साड़ी पहनती रही हैं। साड़ी का पहनावा भारतीय है। हालांकि क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग भी पहनावे रहे पर साड़ी भारतीयों की महिलाओं की पहचान मानी गई। साड़ी पहने महिला को रेस्टोरेंट में न जाने देना अजीब-सा लगा। लगा कि आधुनिकता में हम इतने रम गए कि हम अपना पहनावा, रहन सहन, वेशभूषा ही भूल गए।

आज समय बदल रहा है। जींस पैंट शर्ट, पंजाबी सलवार−सूट ज्यादा पहने जाने लगे। साड़ी को पहनने की परेशानी से बचने के लिए महिलाओं और युवतियों ने टॉप−जीन्स, सलवार−सूट स्वीकार कर लिया। भारतीय महिलाओं का सबसे पसंदीदा परिधान साड़ी अब समारोह में पहनी जाने लगी। साड़ी अब किसी समारोह या विवाह आदि में ही पहने जाने वाले परिधान में आ गई। हालांकि भारतीय महिलाओं को आज भी सबसे ज्यादा पसंद साड़ी ही है।

लगभग सात साल पहले श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रतिनिधिमंडल में मुझे श्रीलंका जाने का अवसर मिला। सात दिन का प्रवास था। एक बड़े मॉल में हम खरीदारी करने के लिये गए। मॉल में लगभग सभी अटेंडेंट महिलाएं थीं। उनमें एक−दो को छोड़ सब साड़ी पहने थीं। कुछ अजीब-सा लगा। भारत, जहां महिलाओं का पहनावा साड़ी है, वहां की युवतियां अब साड़ी नहीं पहनतीं। यहां शान के साथ युवतियां साड़ी पहने ड्यूटी कर रहीं हैं। श्रीलंका की संसद में हमारे लिए भोजन की व्यवस्था थी। भोजन के बाद संसद का भ्रमण भी कार्यक्रम में शामिल था। मैं देखकर आश्चर्यचकित था कि वहां कार्य करने वाली सभी युवतियां और महिलाएं साड़ी पहने हुए थीं। ऐसा लग रहा था कि श्रीलंका में नहीं भारत में खड़ा हूं। हमारी गाईड भी साड़ी पहने थी। हम कोलंबो के एक पार्क में जाते हैं। यहां एक नवयुगल फोटो शूट करा रहा है। युवती बहुत खूबसूरत रंगबिरंगी साड़ी पहने हुए है। श्रीलंका में घूमने के दौरान काफी तादाद में महिलाएं साड़ी पहने मिलीं। साड़ी श्रीलंका स्टाइल में अलग होती है। भारतीय से अलग श्रीलंकन साड़ी पहनती हैं। ये नीचे से लहंगा टाइप होती है। ऊपर से उसे साड़ी की तरह बांधती हैं।

श्रीलंका की हमारी पत्रकार साथी सुभाषिनी डी. सिल्वा ने बताया कि साड़ी श्रीलंकाई महिलाओं की नेशनल ड्रेस है। कई सरकारी और प्राइवेट कार्यालयों में भी महिलाओं के लिए साड़ी पहनकर ऑफिस आने के आदेश हैं। महिलाओं के लिये साड़ी पहनना गौरव की बात मानी जाती है। हमारे यहां साड़ी पहनने का प्रचलन कम होता जा रहा है, जबकि दूसरे देश वाले इसे स्वीकार कर रहे हैं। 2012 में मैं नेपाल के होटल ड्रेगन में रुका था। ये एक चाइनीज होटल है। एक दिन सवेरे नाश्ते के दौरान मैंने और मेरी पत्नी ने चीन की दो लड़कियों को सफेद साड़ी पहने देखा। ठिगना कद। गोरा दूधिया रंग और गुलाबी चेहरा। ऐसे बदन पर सफ़ेद साड़ी ऐसा लग रहा था, कि स्वर्ग की अप्सराएं धरती पर उतर आईं हों। उनसे कुछ दूर बैठे हम उन्हें काफी देर देखते रहे। वह तो हिंदी−अंग्रेजी नहीं समझ पा रहीं थीं, किंतु होटल के प्रबंधक ने बताया कि चीन की नई युवतियां साड़ी पसंद करतीं हैं। इसमें नया लुक आता है। ये गर्व की बात है कि हम भारतीय जिस पहनावे को त्याग रहे हैं, दूसरे देश उसे स्वीकार कर रहे हैं।

-अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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