सच्ची बात या चुनावी बिसात!

भारत के प्रधानमंत्री ने समय से आंदोलन कर रहे किसानों की मांग को मानते हुए तीनों कृषि बिल वापस लेने की घोषणा की है। इसे जहां भाजपा के लोग किसानों के हित में सरकार का ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं वहीं सपा, बसपा, कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दल इसे चुनावी हथकंडा बता रहे हैं और मैं आपके इस निर्णय को एक बयान से “विपक्ष धड़म” कह रहा हूं; लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि चुनाव नजदीक आते ही देश के प्रधानमंत्री ने जो यह घोषणा की है, वह वाकई में सच्ची बात है या चुनावी बिसात है।

इसमें कोई दो राय नहीं कि यह बिल सरकार ने किसानों के हित में बनाया होगा लेकिन किसानों ने इसे पहले दिन से ही न सिर्फ नकारना शुरू कर दिया था बल्कि सरकार को अल्टीमेटम देते हुए इसे वापस करने के लिए आंदोलन भी शुरू कर दिया था। जिसमें कई दर्जन किसानों की जान भी गई सत्ता व भाजपा नेताओं ने आंदोलनकारी किसानों को न सिर्फ व्यापारी बताया बल्कि जिसका जहां मौका लगा उसने इनको आतंकवादी, विदेशी समर्थक अथवा न जाने किस किस उपाधि से नवाजा था। आज देश के प्रधानमंत्री ने इस बिल को वापस लेकर यह तो साफ कर ही दिया कि नेता भले ही कुछ कह रहे हों, लेकिन किसान न तो व्यापारी थे और ना ही आतंकवादी। मैं तो कहना चाहता हूं, इन अनाप-शनाप बकने वाले नेताओं को कि कम से कम बयान देते वक्त भविष्य का वह रास्ता भी खुला रखें, जिसमें उन्हें शर्मिंदगी न उठानी पड़े। तीनों कृषि बिल रद कर देने की घोषणा पर देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को जहां बधाई मिल रही हैं वहीं भरोसा खोती जा रही सरकार पर लोगों को भरोसा नहीं हो रहा है। हालांकि अच्छी बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री ने जिस तरह से देश के सामने गलती मानते हुए कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की और एमएसपी घोषित करने के लिए कमेटी बनाने का भी वादा किया, उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है। लेकिन इतनी देर से लिए गए फैसले से भले ही सरकार को कुछ नुकसान हो ना हो लेकिन भाजपा को उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। मैं तो कहना चाहता हूं खुद को गरीबों का हमदर्द बताने वाले प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी से, कि अभी भी समय है यूपी चुनाव में मात्र तीन चार माह का समय शेष बचा है। समय रहते सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट भी लागू कर डालो। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि सर्वाधिक वोट रखने वाले ओबीसी उत्तर प्रदेश में फिर भाजपा की सरकार बनवा देंगे। मैं यह भी दावे के साथ कह सकता हूं कि कृषि आंदोलन वापस लेने पर भले ही किसान भाजपा को सपोर्ट करें न करें या पर्याप्त मात्रा में न करें लेकिन थोड़े में गुजारा करने वाले ओबीसी जरूर सारा गुस्सा भूलकर यूपी में आपकी सरकार बनवा डालेंगे। प्रधानमंत्री जी मैं आपकों एक और बात से अवगत कराना चाहता हूं ओबीसी के लोगों में इस बात की चर्चा तेजी पकड़ रही है कि यहां 2017 के विधान सभा चुनाव में दिन रात एक कर बड़ी संख्या में ओबीसी के वोट दिलवाकर सवा तीन सौ सीट जिताने वाले उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की अनदेखी की जा रही। आपके दोनों कार्यक्रम में उन्हें मंच पर न देख बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में रहने वाले पाल, प्रजापति, सैनी, मौर्य, कुशवाहा, कश्यप, सैन, सविता सहित समस्त ओबीसी जातियों को बड़ी परेशानी हुई है जो भले ही कुछ नेताओं के लिए फायदे का सौदा हो लेकिन भाजपा के लिए सबसे ज्यादा घाटे का सौदा हो सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री को देश का प्रधानमंत्री तक बनाने की मांग की जाने लगी हैं। केशव प्रसाद मौर्य की निष्ठा भाजपा तथा आपके प्रति अटूट विश्वास उत्तर प्रदेश के सभी भाजपा नेताओं से ज्यादा मौर्य में देखा जाता है माना कि लोकनिर्माण विभाग के मंत्री की आपके कार्यक्रम में मंच पर बैठने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उपमुख्यमंत्री तो इस लायक हो सकते हैं कि देश प्रदेश के ओबीसी को संदेश दिया जा सके और तो और उनका नाम तक विज्ञापन में प्रकाशित नहीं होता है। आशा ही नहीं विश्वास है कि न सिर्फ भाजपा बल्कि देश के प्रधानमंत्री व ग्रह मंत्री इस सुझाव पर विचार करेंगे।

विनेश ठाकुर, सम्पादक
विधान केसरी, लखनऊ

सूचना :- यह खबर Team Vidhan Kesari, के द्वारा अपडेट की गई है। इस खबर की सम्पूर्ण जिम्मेदारी Team Vidhan Kesari की होगी। http://www.vidhankesari.com या संपादक मंडल की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

Leave a Reply

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s