
वाराणसी (एजेंसी)। दुनिया का तीसरा और भारत का पहला पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में चलेगा। शहर में यातायात के दबाव व पर्यटकों की सुविधा के लिए कैंट रेलवे स्टेशन (वाराणसी जंक्शन ) से गिरजाघर चौराहे (गोदौलिया ) तक 4.2 किलोमीटर में रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इससे काशी विश्वनाथ मंदिर व दशाश्वमेध घाट तक पहुंच आसान हो जाएगी। इस 424 करोड़ की परियोजना पर जल्द काम शुरू हो जाएगा। इसमें 80 फीसद केंद्र सरकार व 20 फीसद राज्य सरकार खर्च करेगी।

पीएम मोदी करेंगे शिलान्यास- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 से 15 दिसंबर तक काशी में प्रवास करेंगे। 13 दिसंबर को वह काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करेंगे। इसी दिन वह रोपवे का शिलान्यास कर सकते हैं।

भीड़-भाड़ वाले इलाके में होगा इस्तेमाल- नेशनल हाईवे, रिंग रोड, फ्लाइओवर, आरओबी के बाद अब वाराणसी के भीड़-भाड़ वाले इलाके में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे का इस्तेमाल होगा। पूर्वी भारत का गेटवे कहे जाने वाले वाराणसी आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के साथ स्थानीय लोगों को राहत मिलेगी। दरअसल, बनारस के पुराने इलाकों की संकरी सड़कें व ट्रैफिक का दबाव निरंतर बढऩे से अक्सर जाम की स्थिति रहती है। रोपवे बनने से इससे निजात मिल जाएगी।
पायलट प्रोजेक्ट- वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन के अनुसार बोलीविया देश के लापाज और मैक्सिको शहर के बाद विश्व में भारत तीसरा देश और वाराणसी पहला शहर होगा, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए रोपवे का इस्तेमाल किया जाएगा। ये पायलट प्रोजेक्ट है। काशी के मूल स्वरूप को कायम रखते हुए जापान के क्योटो के तर्ज पर अत्याधुनिक तरीके से इसे विकसित किया जाएगा।

चार स्टेशन और मिनट सिर्फ 15- वाराणसी कैंट स्टेशन से शुरू होकर गिरजाघर चौराहे तक कुल चार स्टेशन होंगे। इसमे कैंट रेलवे स्टेशन, साजन तिराहा, रथयात्रा और गिरजाघर चौराहे पर स्टेशन बनाया जाएगा। रोपवे की कुल दूरी 4.2 किलोमीटर है जो करीब 15 मिनट में तय होगी। करीब 45 मीटर की ऊंचाई पर ट्राली कार चलेगी। इसमें 220 ट्राली होंगी। एक ट्राली में 10 पैसेंजर सवार हो सकते हैं। हर डेढ़ से दो मिनट के अंतराल में यात्रियों को ट्राली उपलब्ध रहेगी। एक दिशा में एक बार में 4000 लोग यात्रा कर सकेंगे। यानी 8000 लोग दोनों दिशा से एक बार में आ जा सकेंगे। रोपवे रात में भी चलेगा।
झलकेगी बनारस की संस्कृति- रोपवे के लिए बनने वाले सभी स्टेशन पर काशी की कला-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। ट्राली पर भी काशी की थाती परिलक्षित होगी। कैंट रेलवे स्टेशन के पास ही रोडवेज है। इसलिए कैंट स्टेशन पर रोपवे स्टेशन बनने से ट्रेन और बस से यात्रियों को सुविधा होगी।

फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार- वैपकास कंपनी ने सर्वे पूरा करने के बाद फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर स्थानीय प्रशासन को भेजी थी, जिसे शासन को भेजदिया गया। पूरा प्रोजेक्ट पीपीपी मॉडल पर ही बनाकर संचालित किया जाना है ।
रोपवे योजना के पीछे कारण-
वाराणसी मंडलायुक्त दीपक अग्रवाल ने बताया कि, शहर वासियों को सार्वजनिक परिवहन सेवा की आवश्यकता थी, इसलिए व्यापक गतिशीलता योजना के अनुसार, यातायात में सुधार के लिए रोपवे प्रणाली एक व्यवहार्य विकल्प थी। वहीं कमिश्नर दीपक अग्रवाल की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई बैठक में प्री-बिड में शामिल ईसीएल मैनेजमेंट एसडीएचडीएचडी, डोपल्मेयर, एफआईएल, पोमा, एक्रान इंफ्रा, एजीस इंडिया और कन्वेयर एंड रोप-वे सिस्टम फर्मों के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। इनमें से ईसीएल, डोपल्मेयर, एफआईएल व पोमा फर्मों ने लिखित रूप से रोप-वे निर्माण की इच्छा जताई है। बैठक में प्रमुख सचिव आवास, वित्त विभाग, राजस्व विभाग एवं नियोजन विभाग के अलावा परियोजना सलाहकार वैपकॉस के प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया। बैठक में वीसी ईशा दुहन के अलावा वीडीए के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
- ईसीएल मेनेजमेंट एसडीएनडीएचडी
- डोपल्मेयर
- एफ़आईएल
- पोमा
एक नजर में प्रस्तावित रोप-वे परियोजना-
गोदोलिया से कैंट रेलवे स्टेशन के मध्य (रथयात्रा एवं साजन तिराहा होते हुए)।
लंबाई 4.02 किलोमीटर।
यात्रा समय (एंड-टू-एंड) 15 मिनट।
केबल कार संख्या एवं विवरण – 220 केबल कार।
प्रत्येक 10 व्यक्तियों की क्षमतायुक्त, प्रत्येक 90 से 120 सेकेंड के अंतराल पर।
एक तरफ से एक समय में 4000 व्यक्तियों को यात्रा की सुविधा।
कुल प्रस्तावित स्टेशन पांच।
जमीन से 11 मीटर ऊंचाई पर होगा रोप-वे।
प्रत्येक स्टेशन काशी की थीम एवं संस्कृति पर आधारित होगा।
कुल परियोजना लागत 410.30 करोड़।