एक संस्मरण। -संजय सक्सेना

लखनऊ। जिला बिजनौर के विधानसभा क्षेत्र धामपुर की दलित बस्ती में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने पूड़ी बेल कर क्या तली, कि मीडिया की सुर्खियां बन गया। दरअसल स्वतंत्र देव जी एक अच्छे राजनैतिज्ञ होने के साथ ही खाना पकाने के शौकीन भी हैं। यही नहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में भी सफलता पूर्वक अपना जौहर दिखा चुके हैं। यह बात इन पंक्तियों का लेखक दावे के साथ इसलिए कह सकता है क्योंकि वह स्वयं इसका साक्षी व भागीदार भी है।
बात 90 के दशक की है, जब जम्मू कश्मीर और अयोध्या बेहद ज्वलंत मुद्दों में शामिल थे। उस दौर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े स्वतंत्र देव सिंह (वह लोगों में कांग्रेस सिंह के नाम से जाने जाते थे) जिला जालौन के मुख्यालय उरई स्थित डीवी डिग्री कालेज की छात्र राजनीति में सक्रिय थे। तब मैं बीएससी में अध्ययनरत था। कांग्रेस जी की एक पूरी की पूरी मंडली थी। उसमें शिवेंद्र बुंदेला, ब्रजभूषण सिंह मुन्नू, हरिओम उपाध्याय (अब पूर्व जेल मंत्री), मूलचंद निरंजन (अब विधायक), ठेकेदार संतराम सिंह सेंगर (अब विधायक) आदि शामिल थे। कालेज के नाते कांग्रेस जी से जानपहचान हुई। मेरे साथ हमेशा युवाओं की भारी तादाद देखकर एक दिन बोले संजय जी, आप एबीवीपी में आ जाइए। फिर मेरी नियुक्ति उरई के नगर मंत्री के रूप में कर दी गई। इस तरह स्वतंत्र देव जी के साथ काफी मिलना जुलना हो गया।…जो इतना बढ़ा कि वह दिनभर के 8-10 घंटे मेरे ही स्कूटर, मोटरसाइकिल पर घूमते फिरते। तब झांसी रोड स्थित सनातन धर्म इंटर कालेज के ठीक बाहर के मकान में नीचे मूलचंद निरंजन जी रहते थे। उसी मकान के ऊपरी हिस्से में कांग्रेस जी भी रहते थे। यही कारण रहा कि रोजाना उन्हें लेने छोड़ने उनके घर आना-जाना होता था। वैसे तो भाभी जी चाय, नाश्ता, खाना आदि खिलाती ही थीं, लेकिन जब वो अपने मायके जातीं, तब हम दोनों योद्धा रसोई घर में अपनी पाक कला को धार देते। चाय के अलावा सब्जी, रोटी, दाल, चावल, पूड़ी, पराठा जो मन किया, बनाया और खाया। छोटी सी रसोई में जमीन पर रखे गैस चूल्हे के सामने लकड़ी की पटली पर बैठकर एक आटा माढ़ता तो दूसरा तवे पर रोटी सेंकता। अपने आप बनाकर खाने का मजा ही अलग है, भले ही रोटी आड़ी, बेड़ी और मोटी ही क्यों न हों! बाद में जब कांग्रेस जी भारतीय जनता युवा मोर्चा के जिला से लेकर प्रदेश महामंत्री, फिर अध्यक्ष भी बने और हम जिला प्रवक्ता।

रही बात पत्रकारिता की तो… कुछ साल बाद छात्र राजनीति के साथ साथ वह लखनऊ से प्रकाशित दैनिक स्वतंत्र भारत के प्रभारी बन गए। उस समय उरई से प्रकाशित “दैनिक लोक सारथी” खुद में सबसे बड़ा अखबार था। दैनिक जागरण झांसी और कानपुर दोनों जगह की कुछ प्रतियां आती थीं। अमर उजाला, हिंदुस्तान नहीं थे वहां। मेरे पत्रकारिता के गुरु; श्री केपी सिंह जी लोक सारथी के प्रभारी संपादक थे और मैं सह संपादक। उस नाते भी कांग्रेस जी की ओर से उनके लिए रोजाना समाचार बनाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ।
दरअसल धामपुर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह अलग अंदाज में दिखे। एक दिन पूर्व गांव पुराना धामपुर की दलित बस्ती में भोजन करने के बाद उन्होंने महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए खुद पूड़ी बनाई। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह बुधवार दोपहर धामपुर धामपुर के शुभम मंडप में कार्यकर्ता सम्मेलन में पहुंचे थे। सम्मेलन के बाद वह गांव पुराना धामपुर की दलित बस्ती पहुंचे। यहां उन्होंने भाजपा सेक्टर संयोजक मिथलेश देवी के घर पर भोजन किया। इसके बाद उन्होंने भोजन बना रही महिलाओं के उत्साहवर्धन के लिए स्वयं पूड़ी बेली और कढ़ाई में तली। इससे वहां मौजूद महिलाएं बहुत खुश हुई। इसके बाद उन्होंने गांव में घर-घर जाकर जनसंपर्क किया और भाजपा को विजयी बनाने की अपील की।
