यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद के विकल्प

यूक्रेन पर रूस के हमले की आशंका सही साबित हो गई।रूस ने गुरुवार सुबह पांच बजे यूक्रेन पर हमला बोल दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने नेशनल टेलिविजन पर हमले का ऐलान किया। धमकाने वाले अंदाज में बोले कि रूस और यूक्रेन के बीच किसी ने भी दख्ल दिया तो अंजाम बहुत बुरा होगा। लड़ाई जारी है। यूक्रेन ने रूस के सात फाइटर प्लेन गिराने का दावा किया है। रूस की सेना ने यूक्रेन के सैन्य हवाई अड्डों को निशाना बनाया है। यूक्रेन के सैन्य हवाई अड्डों को रूस की सेना द्वारा तबाह कर दिया गया है।इस कार्रवाई के बाद यूक्रेन ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि, वह हार नहीं मानेंगे।

युद्ध शुरू हो गया तो यह भी निश्चित हो गया कि इसके परिणाम रूस और यूक्रेन पर ही असर नही छोडेंगे, पूरी दुनिया को प्रभावित करेंगे। युद्ध कभी ठीक नहीं होता। युद्ध कभी नहीं होना चाहिए। इसमें प्राकृतिक संसाधनों का तो विनाश होता ही है, मानव जाति की भी भारी क्षति होती है।देश −दुनिया का विकास प्रभावित होता है। सदियों तक इसका प्रभाव रहता है। अभी तो तेल के दाम बढे है, आगे तो मंहगाई के और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।

रूस के हमले से पहले ही नाटों देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाने शुरू कर दिए हैं। अमेरिका रूस को भारी परिणाम भुगतने की धमकी दे तो रहा है किंतु वह युद्ध में भी कूदा नहीं है। युद्ध में अमेरिका और नाटो देश उतरते हैं तो यह निश्चित है कि चीन रूस का साथ देगा और फिर शुरू होगा एक नया विश्व युद्ध।

अमेरिका अगर युद्ध में नही उतरता हैं तो उसकी साख को बहुत बड़ा धक्का लगेगा। पहले ही अफगानिस्तान से भागने पर उसकी बहुत इमेज खराब हुई थी। इस हमले में उसकी चुप्पी पर उसके मित्र देशों का उससे भरोसा खत्म हो जाएगा। यह उसके लिए अच्छा नहीं होगा।

वैसे 2014 में जब रूस ने क्रीमिया पर कब्जा जमा लिया था, तब भी सब देश शांत रहे थे। रूस कब्जा करने में कामयाब रहा था। पूरी दुनिया तमाशाबीन बनी देखती रही थी। इस बार अमेरिका और उसके मित्र देश युद्ध में कूदते हैं तो नए विश्वयुद्ध की शुरूआत होगी। महाविनाश होगा, क्योंकि अमेरिका और रूस परमाणु शक्ति सपन्न देश हैं।
ये देश युद्ध में नहीं उतरते तो चीन उनकी कमजोरी का फायदा उठाएगा । वह अभी भी कहता रहा है कि अमेरिका धोखेबाज है। अमेरिका की इसी चुप्पी का फायदा उठाकर वह वियतनाम पर कब्जा करने का प्रयास करेगा। दोनों हालात ठीक नहीं हैं। ऐसे में इस आग से हम जितना बच सकें, बचने का प्रयास होना चाहिए। लड़ाई भले ही हमसे दूर हो किंतु चीन से सदा सचेत रहने की जरूरत है। कहीं वह रूस तथा अमेरिका और उसके मित्र देशों की व्यस्तता का फायदा उठाकर हमें कुचलने की कोशिश न करे!

इस हमले से ये तय हो गया कि संयुक्त राष्ट्र संघ का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि रूस को वीटो पावर मिली हुई है। वह इसमें किसी भी प्रस्ताव को पारित नहीं होने देगा। एक भी वीटो संपन्न देश किसी भी प्रस्ताव को गिरा सकता है। वीटो पावर देश के सामने पूरी दुनिया बेकार है। यह भी स्पष्ट हो गया कि पहले भी ताकतवर दूसरे देश, उसकी संपत्ति पर कब्जा कर सकता था, आज भी। इसलिए जरूरी यह है कि इस जंगल राज में अपने को जिंदा रखना है, तो शेर बन कर रहें। ताकतवर बनें, ताकि कोई आपसे आंख मिलाने की हिम्मत न कर सके। प्रसिद्ध कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा भी है, जहां शस्त्रबल नहीं, शास्त्र पछताते रोते हैं, ऋषियों को भी सिद्धि तभी तप में मिलती है, जब पहरे पर स्वंय धनुर्धर राम खड़े होते हैं।

अशोक मधुप (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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