
समाजवादी नेता जय प्रकाश पांडेय ने भाजपा को बताया काशी की परंपरा के लिए खतरा।
लखनऊ। मतदान की पूर्व संध्या पर बीएचयू गेट पर संवाददाताओं से बात करते हुए समाजवादी नेता एवं चिंतक जय प्रकाश पांडेय ने कहा कि असहमति के प्रति आदर भाव प्रदर्शित करने की परंपरा का नाम है- काशी। पौराणिक मान्यताओं का केंद्र होते हुए भी काशी ने स्थापित व्यवस्था की विसंगतियों के बरक्स मानवतावादी मौलिक विचारों एवं असहमति के स्वरों को धैर्य से सुना। महात्मा बुद्ध, शंकराचार्य से दयानंद सरस्वती तक के शास्त्रार्थ की साक्षी है- काशी। यहां कबीर और संत रविदास की सामाजिक समता की आग्रही दूसरी परंपरा भी संरक्षण पाती रही है। भाजपा की एकरंगी सोच लोकतांत्रिक विमर्श को खारिज करने एवं असहमति को कुचलने की है, जो काशी की परंपरा के खिलाफ है। काशी की इस गौरवपूर्ण विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी समाजवादी ही हैं।
