
लखनऊ। राजधानी के राजाजीपुरम ए- ब्लॉक स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल में मेरी प्यारी गौरैया मुहिम द्वारा नन्ही गौरैया के संरक्षण प्रति आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में डीएफओ अवध डॉ रवि कुमार सिंह ने छात्र छात्राओं को नन्ही गौरैया संरक्षण की शपथ दिलाई। छात्र छात्राओं को नन्ही गौरैया के पानी के लिए मिट्टी का पात्र, काकून के पैकेट, व कृत्रिम घोंसले का वितरण किया गया।
मेरी प्यारी गौरैया मुहिम संचालक पक्षी प्रेमी महेश साहू ने डीएफओ अवध डॉ रवि कुमार सिंह व विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती भारती गोसाई को पौधा भेंट कर स्वागत किया।

डीएफओ अवध डॉ रवि कुमार ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि नन्ही गौरैया का पर्यावरण में अपना महत्व है। नन्ही गौरैया उन कीटों को खाती है, जो हम सबके के लिए नुकसानदायक है। मनुष्य पेड़ों की कटाई करने लगा और समय के साथ – साथ गौरैया की प्रजाति नष्ट होने लगी। गौरैया ज्यादातर पेड़ों पर अपना घोसला बनाकर रहती थी, लेकिन पेड़ों की कटाई होने से वो अपना घोसला नहीं बना पाती हैं और उनको रहने के लिए उचित जगह नहीं मिल रही हैं |
कई लोग अपने खेती की फसलों पर हानिकारक दवाइयों का उपयोग करते हैं, आब कीड़ों को खाने से उनकी मृत्यु होने लगी हैं। पर्यावरण प्रदूषित होने के कारण भी गौरैया की प्रजाती नष्ट हो रही हैं। इन पक्षियों की प्रजाति विलुप्त होने के कारण प्रकृति की सुंदरता गायब हो रही है। नन्ही गौरैया संरक्षण के प्रति सभी को आगे आना होगा।

वहीं पक्षी प्रेमी महेश साहू ने कहा कि नन्ही गौरैया घर के आंगन एवं खेत खलिहानों में अक्सर चहचहाहट करती नजर आया करती थी। घर के आगंन में बिखेरे अनाज के दानों को अपनी चोंच में दबाकर अपने घोसले की तरफ उड़ान भरने के नजारे अधिक पुराने नहीं हैं। लेकिन इंसान के अपने स्वार्थ की वजहों से आज नन्ही गौरैया की प्रजाति पूर्ण खतरे में पड़ चुकी है, अक्सर घर के बच्चों की तरह आंगन में उछल कूद मचाने वाली गौरैया मनुष्य की सहजीवी पक्षी जाति रही है। हमारे शहरीकरण एवं प्रकृति के साथ स्वार्थ के खेल ने इसे अपने घर से बेघर कर दिया है। अभी भी समय है हम नन्ही गौरैया के संरक्षण के लिए आगे आएं।
इस अवसर पर उपस्थित सभी छात्र छात्राओं व अन्य लोगों ने नन्ही गौरैया के लिए कृत्रिम घोंसले लगा कर उसके आशियाने के लिए सुरक्षित स्थान देने के साथ ही इस तपती गर्मी में कोई पक्षी भूख व प्यास से काल के गाल में ना समाए, इसके लिए अपनी छतों व घर के आसपास मिट्टी के पात्र में पानी, दाना काकून रखने का संकल्प लिया।
इस मौके पर क्षेत्रीय वनाधिकारी सिटी, डिप्टी रेंजर विनीत प्रकाश श्रीवास्तव, वन दरोगा शिवम यादव, वन रक्षक दीपक कनौजिया, रामधीरज व विधालय के अध्यापक व अध्यापिकाएं उपस्थित रहीं।