लखनऊ। साहित्य प्रोत्साहन संस्थान मनकापुर गोंडा के तत्वावधान एवं सुनील त्रिपाठी के संयोजन में स्थानीय डिप्लोमा इंजीनियर्स सभागार हजरतगंज लखनऊ में कवि व गीतकार राहुल द्विवेदी ‘स्मित’ एवं कवि चन्द्रगत भारती की काव्य कृतियों ‘पुन: युधिष्ठिर छला गया है’ एवं ‘मेंहदी रचे हाथ’ का लोकार्पण किया गया।

लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. हरिशंकर मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न इस लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि कार्यक्रम अधिशासी दूरदर्शन ओबी भट्टाचार्य, विशिष्ट अतिथि डॉ० सुशील कुमार राय, कार्यक्रम अधिशासी, आकाशवाणी लखनऊ एवं संपादक सांध्य दैनिक ‘पब्लिक इमोशन’ बिजनौर डॉ पंकज भारद्वाज तथा मुख्य वक्ता वरिष्ठ नवगीतकार मधुकर अस्थाना, अन्तर्राष्ट्रीय व्यंग्यकार सर्वेश अस्थाना एवं वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र शुक्ल ‘राज’ ने मंच को सुशोभित किया।

कार्यक्रम का आरम्भ माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण, दीपक प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके पश्चात दोनों पुस्तकों का लोकार्पण संस्था के संस्थापक सचिव धीरज श्रीवास्तव एवं मंचस्थ अतिथियों द्वारा किया गया। लोकार्पित कृतियों पर अपने विचार रखते हुए मुख्य वक्ता मधुकर अस्थाना ने कहा कि पुनः युधिष्ठिर छला गया है; गीतकृति अपने शीर्षक से ही प्रतीक और व्यंजना की छाप छोड़ने लगती है, जिससे स्पष्ट होता है कि कवि की वाणी में पूरे समाज की अन्तरात्मा की अभिव्यक्ति हो रही है और उनके गीत जीवन मूल्यों की प्रतिस्थापना हेतु प्रयत्नशील दिखाई देते हैं।
मुख्य अतिथि ओबी भट्टाचार्य ने राहुल द्विवेदी को उनकी पुस्तक के लिए शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि इस पुस्तक में कल्पना, संवेदना, यथार्थ की अनुभूति और संघर्ष की अभिव्यक्ति के संग लेखनी के तारतम्य का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है। युवा कवि राहुल द्विवेदी स्मित एवं चन्द्रगत भारती में छुपी क्षमता को उनकी पुस्तकें स्वत: ही प्रकाशित करती हैं। डॉ० सुशील कुमार राय ने दोनों कृतिकारों को उनकी पुस्तकों हेतु बधाई दी साथ ही पुस्तकों को समय की शिला पर अंकित पृष्ठों का संकलन कहा।

डॉ० पंकज भारद्वाज ने कहा कि ‘पुनः युधिष्ठिर छला गया है’ कृति के प्रत्येक गीत मानवीय चेतना को जगाने में सफल होंगे।चन्द्रगत भारती की पुस्तक ‘मेंहदी रचे हाथ’ पर वक्तव्य देते हुए वरिष्ठ साहित्यकार राजेन्द्र शुक्ल राज ने कहा कि विपुल संवेदनाओं के धनी गीतकवि चन्द्रगत भारती हिन्दी साहित्य की रत्नमाला के आकर्षक व्यक्तित्व हैं। उनके गीत संग्रह ‘मेंहदी रचे हाथ’ में कोमल हृदय की भाव-तरलता के साथ-साथ युगीन बोध की सघनता पाठकों के हृदय को सहज ही मोह लेती है।

अन्तर्राष्ट्रीय व्यंग्यकार सर्वेश अष्ठाना ने कहा कि राहुल द्विवेदी स्मित के गीतों में गहरी संवेदना की प्रभावशाली अभिव्यक्ति है। अंत में कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो हरिशंकर मिश्र ने कहा कि अरसा बाद एक विशुद्ध साहित्यिक कार्यक्रम में गीतों पर हुई चर्चा का विस्तृत स्वरूप देख रहा हूँ।दोनों पुस्तकें अपने कलेवर और रचनात्मक गुणवत्ता से पाठक को आकर्षित करती है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में शिक्षा, साहित्य एवं पत्रकारिता से जुड़ी ग्यारह हस्तियों को उनके अपने क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए सम्मानित किया गया। इनमें वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश मौर्य मृदु, साहित्य भूषण शिवकांत मिश्र विद्रोही, डॉ अजय प्रसून, केवल प्रसाद सत्यम, रामानन्द सागर, डॉ सीके मिश्र, शालिनी सिंह, मनोज मानव, केदारनाथ शुक्ल, करन सिंह परिहार रहे। समारोह के प्रथम चरण का संचालन नवगीतकार अवनीश त्रिपाठी ने तथा द्वितीय चरण का संचालन ओज कवि उमाकांत पाण्डेय ने किया। कार्यक्रम का समापन संस्था के कार्यकारी अध्यक्ष उमाशंकर शुक्ल के कृतज्ञता ज्ञापन से हुआ।

कार्यक्रम में सुनील त्रिपाठी, नरेंद्र भूषण, मनोज मानव, साहित्य भूषण कमलेश मौर्य ‘मृदु’, डॉ अजय प्रसून, केदारनाथ शुक्ल, केवल प्रसाद सत्यम, करन सिंह परिहार, कुलदीप बृजवासी, साहित्य भूषण शिवाकांत मिश्र विद्रोही, मंजुल मिश्र मंजर , मुकेश कुमार मिश्र, हितेश शर्मा ‘पथिक’, धीरज मिश्रा, राजाभैया गुप्ता ‘राजाभ’, ज्ञान प्रकाश ‘आकुल’, ओमप्रकाश शर्मा, आत्मप्रकाश मिश्र, पुनीता देवी, रेनू सिंह, श्रीमती प्रमिला, रियाज अहमद, अलका अस्थाना, अनुज ‘अब्र’, कमल किशोर भावुक, प्रतिभा गुप्ता, शुभदा बाजपेई ,योगी योगेश शुक्ल, निशा सिंह, महेश प्रकाश अष्ठाना,आदि नगर के अनेक साहित्यिक संस्था-प्रमुखों, कवियों, साहित्यकारों और समाजसेवियों की उपस्थिति रही।