
बिजनौर। सभी धर्मों के लोग इस भीषण गर्मी में छबील व प्याऊ लगाकर लोगों को पानी और शर्बत पिला रहे हैं। यह बेशक ही बहुत पुण्य वाला कार्य है, क्योंकि प्यासे को पानी पिलाने से बड़ी कोई सेवा नहीं है। नर सेवा ही नारायण सेवा है, लेकिन छबील और प्याऊ के पीछे एक बेहद निराशाजनक कहानी भी सामने आ रही है। भूपेंद्र कुमार निरंकारी का कहना है कि जब भी कहीं शर्बत या पानी पिलाया जाता है, तो कार्य खत्म होने के बाद झूठे गिलासों व अन्य गंदगी को वहीं छोड़ दिया जाता है। यह गिलास हवा में उड़ कर दूर तक गंदगी फैलाते हैं। इतना ही नहीं इन पर मक्खी भी मंडराती हैं। प्याऊ लगाकर लोगों की सेवा कर पुण्य भले ही कमाया जाता है, लेकिन उसके बाद उसी स्थान को गंदगी से भरा छोड़कर पाप की भागीदारी भी होती है। ठंडे पानी और शर्बत से लोगों को गर्मी से राहत, तो मिलती है, लेकिन झूठे गिलासों से गंदगी होने पर बीमारियां फैलने का भी खतरा होता है। भूपेंद्र ने इस तरह के शिविर का आयोजन करने वालों का आह्वान किया कि शिविर की समाप्ति पर शिविर के आसपास हजारों की संख्या में बिखरे ग्लास व गंदगी को भी साफ करने का प्रबंध करें।