
बिजनौर। पर्यावरण की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण जिम्मेदारी वन विभाग के कंधों पर है, उसी विभाग के अफसरों को उन पेड़ों की पहचान नहीं है। जिन्हें 10 साल का बच्चा भी पहचान ले। …या यह कहें कि वन माफियाओं को संरक्षण देने के लिए वन अफसर इन पेड़ों की पहचान नहीं करना चाहते। ऐसा ही नजारा उस समय देखने को मिला जब माफियाओं ने आम व शीशम के हरे-भरे पेड़ काट डाले। मामले ने तूल पकड़ा तो वन दरोगा को मौके पर भेजा गया लेकिन वहां कटे पड़े आम व शीशम के पेड़ों को यूकेलिप्टिस व सिम्बल के पेड़ बताकर माफियाओं को संजीवनी दी जाने लगी। अब देखने वाली बात होगी कि जिला स्तर के अधिकारी इन पेड़ों की पहचान कर पाते हैं या नहीं।
शेरकोट में थाने से चंद दूरी पर ईदगाह के निकट एक आम का बाग है। इसमें शीशम, जामुन आदि के पेड़ भी खड़े हैं। बताया जाता है कि धामपुर निवासी एक माफिया ने आम के इस हरे भरे बाग पर आरी चलवा दी। सूत्रों का कहना है कि लगभग 50 आम व शीशम आदि के पेड़ों को काटा जा चुका है। इनमें से कुछ पेड़ तो ढो लिए लेकिन कई पेड़ अभी भी मौके पर ही पड़े हुए हैं। शुरूआत में तो वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को इस बारे में कुछ पता नहीं चल सका या यह कहें कि जानकर अंजान बने रहे लेकिन जब मामले ने तूल पकड़ा तो वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। हालांकि तब तक पेड़ काटने व कटवाने वाले तो चंपत हो चुके थे लेकिन कटे हुए पेड़ मौके पर थे।
वन दरोगा का दावा आम व शीशम नहीं- वन विभाग इस मामले में माफियाओं पर क्या कठोर कार्यवाही करेगा, जब इस संबंध में रेंजर से बात की गई तो लोगों का वो अंदेशा बिल्कुल सच साबित होता दिखा, जिसमें यह कटान का कार्य माफियाओं और वन अफसरों की मिली भगत से होना जताया जा रहा था। रेंजर का दावा है कि मौके पर वन दरोगा लक्ष्मीचंद को भेजा गया था। उनके मुताबिक आम व शीशम नहीं बल्कि यूकेलिप्टिस और सिम्बल के पेड़ों को काटा गया है।

जिस जगह से आम व अन्य कई प्रजातियों के पेड़ काटे गए हैं, वह शमशान घाट की भूमि है। सरकारी भूमि से पेड़ काटने से पहले वन विभाग की ओर से मूल्यांकन कराया जाता है और उसके बाद नीलामी प्रक्रिया पूरी कर पेड़ काटे जाते हैं। इन पेड़ों को काटने से पहले ऐसा कुछ नहीं किया गया। सरकारी भूमि पर पेड़ काटने से पहले ऐसा कुछ नहीं किया गया जिस कारण यह कटान पूरी तरह अवैध है। अगर यह भूमि ग्राम पंचायत के अधीन आती है तो ग्राम प्रधान और अगर नगरीय क्षेत्र में आती है तो ईओ इस संबंध में एफआईआर दर्ज कराएंगे।
डा. अनिल कुमार पटेल
डीएफओ बिजनौर