
लखनऊ। ‘हर घर नल योजना’ में सुस्त रफ्तार से काम करने वाले इंजीनियर अब बाहर किए जाएंगे। जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने जल जीवन मिशन के तहत प्रदेश की ‘हर घर नल योजना’ की गहन समीक्षा करते हुए ये संकेत दिए। उन्होंने साफ कहा कि ऐसे इंजीनियरों की योजना में कोई जगह नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को नल कनेक्शन संख्या के आधार पर इंजीनियरों की रफ्तार तय करने के निर्देश देते हुए कहा जिन इंजीनियरों की रफ्तार धीमी है उन्हें तत्काल विभाग से बाहर करें।
मुख्य और अधीक्षण अभियंताओं की लगाई क्लास– राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के गोमती नगर स्थित सभागार में बुधवार रात्रि समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। मंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने मुख्य और अधीक्षण अभियंताओं की जमकर क्लास लगाते हुए कहा कि ‘हर घर नल योजना’ की प्रगति की लगातार निगरानी की जिम्मेदारी मुख्य अभियंताओं की है। साथ ही चेतावनी दी कि जिन जिलों में काम गति नहीं पकड़ेगा वहां के इंजीनियरों को हटाया जाएगा।
मत रोइए समस्या का रोना- उन्होंने कहा कि गांव-गांव में काम को गति देने के लिए फील्ड में उतरना पड़ेगा। निगरानी करने के साथ, जिला प्रशासन का सहयोग और ग्राम प्रधानों के साथ बैठकें करनी होंगी। उन्होंने इंजीनियरों से एक-एक कर प्रदेश में महिलाओं को दी जा रही पानी जांच की ट्रेनिंग और नल कनेक्शनों के बारे में सवाल पूछे। जलशक्ति मंत्री ने अधिशासी अभियंताओं को टाइम मैनेजमेंट कर काम करने की सलाह देते हुए कहा कि अगर आप लोग समस्या को रोते रहेंगे तो समस्या का समाधान कभी नहीं हो पाएगा। बैठक में प्रमुख रूप से राज्य मंत्री रामकेश निषाद, नमामि गंगे व ग्रामीण जलापूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव, जल निगम के एमडी बलकार सिंह मौजूद रहे।
…तो एजेंसियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई-
जल जीवन मिशन के तहत रेट्रोफिटिंग योजना से जुड़े गांवों में योजना पूरी होने के बाद भी यदि सभी घरों में नल कनेक्शन नहीं मिले तो एजेंसियों को बड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। ऐसी एजेंसियों के खिलाफ विभाग मुकदमा भी दर्ज कराएगा। जांच और कार्रवाई में लापरवाही बरतने वाले इंजीनियरों के खिलाफ भी बड़े एक्शन की तैयारी है। समीक्षा बैठक के दौरान प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव ने रेट्रोफिटिंग योजना से जुड़े गांव की चर्चा करते हुए यह चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि योजना से अंतर्गत आने वाले गांव में हर हाल में सौ फीसदी कनेक्शन होना चाहिए. दोषी एजेंसियों पर कार्रवाई करने में देरी करने वाले इंजीनियरों के खिलाफ भी सख्त एक्शन लिया जाएगा।