
बुधवार से हो रहा है गणेशोत्सव का प्रारंभ। गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ 10 दिन तक मनेगा गणेशोत्सव का पर्व।
बिजनौर। गणेश पुराण के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। चतुर्थी तिथि पर गणेश प्रतिमा की स्थापना के साथ 10 दिन तक गणेशोत्सव का पर्व मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन प्रतिमा का विसर्जन करते हुए गणेश उत्सव का यह पर्व संपन्न होता है।
सिविल लाइन स्थित धार्मिक संस्थान विष्णु लोक के ज्योतिषविद पंडित ललित शर्मा ने बताया कि भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2022 को दोपहर 3:00 बजकर 34 मिनट से हो रहा है। चतुर्थी तिथि का समापन 31 अगस्त को दोपहर 3:00 बज कर 23 मिनट पर होगा। इस बार गणेशोत्सव का प्रारंभ बुधवार के दिन से हो रहा है। शास्त्रों में बुधवार को भगवान गणेश का वार माना गया है। बुधवार के दिन भगवान गणेश की पूजा आराधना करने पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। गणेश चतुर्थी के दिन चार प्रमुख ग्रह स्वराशि में रहेंगे। गुरु अपनी स्वराशि मीन में, शनि मकर में, बुध कन्या राशि में, और सूर्य अपनी स्वराशि सिंह में उपस्थित रहेंगे। यह बहुत शुभ संयोग माना जा रहा है।
गणेश चतुर्थी पर मिट्टी के गणेश जी स्थापित करें। मिट्टी की गणेश प्रतिमा के पूजन से नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है। मिट्टी में पवित्रता होती है। मिट्टी की गणेश प्रतिमा प्रकृति के पांच मुख्य तत्व में से एक भूमि की बनी होती है। इसीलिए इसमें भगवान का आह्वान करने से कार्य सिद्धि होती है। प्लास्टर ऑफ पेरिस और अन्य केमिकल्स से बनी गणेश प्रतिमा में भगवान का अंश नहीं आ पाता और इससे नदियां अपवित्र होती हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार नदियों को प्रदूषित करने से दोष लगता है। गणेश स्थापना के लिए भगवान गणपति की मूर्ति मिट्टी से बनी हुई होनी चाहिए। मूर्ति खंडित अवस्था में नहीं होनी चाहिए।
पुराणों में भगवान श्री गणेश की जन्म की कथा में बताया गया है कि माता पार्वती ने पुत्र की कामना से मिट्टी का पुतला बनाया था, फिर शिव जी ने उस में प्राण संचार किए वहीं भगवान गणेश थे।