प्रतिबंध के बावजूद दबंग किसान खुलेआम जला रहा पुराल

बिजनौर। नजीबाबाद के भागूवाला क्षेत्रांतर्गत खुल्लम खुल्ला शासनादेशों की अनदेखी हो रही है। प्रतिबंध के बावजूद दबंग किसान खुलेआम पुराल (फसलों के अवशेष, पराली) जला कर वातावरण प्रदूषित कर रहा है। क्षेत्र के लोगों ने कानूनी कार्रवाई करने की मांग जिला प्रशासन से की है।

ज्ञात हो कि वातावरण के प्रदूषित होने के चलते शासन ने खेतों में पुराल जलाने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा रखा है। साथ ही यदि कोई प्रतिबन्ध के बाद भी पुराल जलाता है तो उसके विरुद्ध सुसंगत धाराओं में कानूनी कार्यवाही की बात कही गई है। इसके बावजूद राजगढ थाना मण्डावली बिजनौर में फार्मिंग खेती करने वाला एक बड़ा किसान अपने ऊँचे रसूख के चलते इन सब कानून को ताक पर रख खेतों में सरेआम पुराल जला रहा है, या कहा जाय कि कानून की धज्जियाँ उड़ा रहा है। प्रदूषण से जैसे उसे कोई लेना देना नही है। क्षेत्र के सभ्य ग्रामीणों भोपाल सिंह, दिनेश कुमार, जयराम सिंह, मतलूब आदि ने इस खेत स्वामी के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करने की मांग जिला प्रशासन से की है।

गौरतलब है कि फसलों के अवशेष (पराली) जलाने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज कर मुकदमा पंजीकृत करने तथा उन पर भारी अर्थदंड भी लगाने के निर्देश हैं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे किसान जिनके पास दो एकड़ कृषि भूमि है और वह पराली जलाते हैं, तो उन पर 2500 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके अलावा 2 से 5 एकड़ कृषि भूमि वाले किसानों को 5000 रुपए का जुर्माना भरना होगा। 5 एकड़ से अधिक कृषि भूमि के स्वामी किसान, जो अपने खेत में पराली जलाते हुए पकड़े जाएंगे, उन्हें 15000 रुपए का जुर्माना देना होगा।
कृषि विभाग के सूत्रों का कहना है कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण होता है। पराली का धुआं श्वास संबंधी रोगों को फैलाता है, जिससे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं। जिस खेत में पराली जलाई जाती है, उसमें किसानों के मित्र कहे जाने वाले जीव तथा कीट भी आग की चपेट में आकर मर जाते हैं। पराली प्रबंधन में आधुनिक कृषि यंत्र काफी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यही कारण है कि सरकार कस्टम हायरिंग सेंटरों की संख्या अधिक बढ़ा रही है। फसल अवशेष प्रबंधन में प्रयोग होने वाले यह सात तरह के उपकरण आमतौर पर किसानों के लिए किसी हथियार से कम नहीं है। जो खेती बचाने, लोगों के जीवन को स्वस्थ रखने में मदद कर रहे हैं। सरकार इन उपकरणों पर 50 से 80 फीसद तक छूट भी दे रही है। व्यक्तिगत मशीन लेने पर 50 फीसद और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए मशीन लेने पर 80 फीसद छूट दी जाती है। किसान हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, सीड ड्रिल, मल्चर, सुपर स्ट्रा मैनेजमेंट सिस्टम, स्ट्रा बेलन आदि पर यंत्रो पर अनुदान ले सकते हैं।

रिपोर्ट~ मो. फैसल

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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