आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनाव समेत अन्य दूसरे कामों में लगाने पर रोक। कोर्ट का कहना, चुनाव या किसी अन्य काम में ड्यूटी से धात्री, गर्भवती समेत अन्य के स्वास्थ्य पर पड़ेगा गंभीर असर।

लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनाव समेत अन्य दूसरे कामों में लगाने पर रोक लगा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अदालत ने अपने आदेश की प्रति मुख्य सचिव को भेजा है, जिससे कि वह संबंधित जिलाधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी कर सकें। विदित हो कि प्रदेश में 1.89 लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को एक बड़ी राहत देते हुए उनकी ड्यूटी चुनाव समेत अन्य कार्यों में लगाने पर रोक लगा दी है। लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने एक रिट पर यह फैसला सुनाया। न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने यह फैसला मनीषा कनौजिया व एक अन्य की याचिका पर दिया। याचियों का कहना था कि वह बाराबंकी जिले के आंगनबाड़ी केंद्र सिटी गुलेरिया गरदा में बतौर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। प्रशासन ने उन्हें स्थानीय निकाय चुनाव में बतौर बूथ लेवल अफसर (बीएलओ) की ड्यूटी में लगाया है। यह केंद्र और राज्य सरकार की आदेशों व निर्देशों में खिलाफ है। इस तैनाती से क्षेत्र में बच्चों व माताओं के स्वास्थ्य की देखभाल की व्यवस्था प्रभावित होगी। याचियों का तर्क था कि चुनाव के काम में अन्य ग्राम स्तर के कर्मियों को लगाया जा सकता है।
दूसरी ओर बाराबंकी के डीएम व अन्य पक्षकारों की ओर से जवाब में कहा गया कि चुनाव का कार्य सर्वोच्च अहमियत वाला है। ऐसे में सभी अफसरों को इसमें सहयोग करना होता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इन कार्यकर्ताओं का काम काफी अहमियत वाला होता है। इनकी चुनाव या किसी अन्य काम में ड्यूटी से धात्री, गर्भवती समेत अन्य के स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ेगा। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने अपना आदेश जारी कर दिया है।
इस सम्बन्ध में महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उप्र के अध्यक्ष एवं हिन्द मजदूर सभा के राष्ट्रीय सचिव गिरीश पाण्डेय ने बताया कि गर्भवती महिलाओं को बच्चों के देख-रेख के अलावा चुनाव, जनगणना, कोरोना आदि ड्यूटी में लगा दिया जाता था। इसके एवज में आंगनबाड़ी महिलाओं को बहुत निम्न मानदेय दिया जाता है। इस कारण आंगनबाड़ी महिलाएं मानसिक रूप से परेशान रहती हैं।
इन्ही समस्याओं को देखते हुए बाराबंकी की महिला आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ उप्र की जिलाध्यक्ष मनीषा कन्नौजिया द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में रिट दायर की गयी। इस विषय पर न्यायमूर्ति आलोक माथुर की एकल पीठ ने फैसला सुनाते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को चुनाव समेत अन्य दूसरे कामों में ड्यूटी लगाने पर रोक लगा दी।
याचिकाकर्ता और वकील का आभार: उधर फैसला आने के बाद संगठन द्वारा लोहिया मजदूर भवन नरही, लखनऊ में एक बैठक का आयोजित कर याचिकाकर्ता मनीषा कन्नौजिया को माला पहनाकर उनका अभिनन्दन किया गया। बैठक में फैसले का स्वागत करते हुए उच्च न्यायालय को धन्यवाद देते हुए दायर याचिका की अधिवक्ता अभिलाषा पाण्डेय को भी संगठन द्वारा आभार जताया गया।
संगठन के अध्यक्ष ने बताया कि 62 वर्ष पूर्ण कर चुकी आंगनबाड़ी महिलाओं को बिना ग्रेच्युटी व पेंशन के जबरन उनकी सेवा समाप्त कर दिया गया, इस पर भी संगठन की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका दायर है। उन्होंने आशा जताई है कि 62 वर्ष पूर्ण करने वाली महिलाओं के पक्ष में भी न्यायालय न्याय जरूर करेगा ।