अस्थमा से भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की होती है मौत

अस्थमा से भारत में हर साल 1 लाख 98 हजार लोगों की होती है मौत

दुनिया में हर साल 4 लाख 61 हजार लोग गंवाते हैं जान

अस्थमा फेफड़े से जुड़ी बीमारी है। इसमें सांस लेने में समस्या होती है। यह बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। सिद्धार्थनगर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि भारत में करीब 3 करोड़ 43 लाख लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। दुनियाभर में अस्थमा से जितने भी लोगों की मौत होती है, उनमें भारत के 42% लोग शामिल हैं। डॉक्टर भास्कर शर्मा कहते हैं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, सांस की गंभीर बीमारियों के कारण मृत्यु के मामले में चीन के बाद भारत का ही स्थान है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि विश्व में अस्थमा के 10 फीसदी मामले भारत में ही हैं, इनमें से 15 फीसदी मामले बच्चों (5—11 साल) में ही हैं। अस्थमा ने 2019 में अनुमानित 262 मिलियन लोगों को प्रभावित किया और 455 000 लोगों की मृत्यु हुई। डॉक्टर भास्कर शर्मा बताते हैं कि भारत में सांस लेने की गंभीर बीमारियों के बढ़ने का एक बड़ा कारण वायु प्रदूषण है, जिसमें पराली जलाने और वाहनों का प्रदूषण प्रमुख है। हाल में वैश्विक स्तर पर किए गए सर्वे के मुताबिक, विश्व के शीर्ष 20 सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में 13 शहर भारत के ही हैं, दिल्ली~एनसीआर, पटना, ग्वालियर और रायपुर में प्रदूषण कणों (पीएम2.5) की सर्वाधिक मात्रा है जो, सांस की नली और फेफड़ों को बुरी तरह क्षतिग्रस्त करते हुए अस्थमा, ब्रोनकाइटिस, हृदय रोग, स्ट्रोक और अन्य रोगों का कारण बनते हैं। डॉक्टर भास्कर शर्मा ने अस्थमा के लक्षणों का खुलासा करते हुए कहा कि विशेष रूप से रात के समय खांसी और सांस लेते वक़्त घरघराहट, सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज निकलना, सांस की तकलीफ और छाती में जकड़न महसूस होना, थकान का एहसास होना आदि हैं।

डॉक्टर भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि धूम्रपान न करें। धूम्रपान करने से अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है। इसके लिए जरूरी है कि धूम्रपान बिल्कुल न करें। किसी भी प्रकार से तंबाकू के सेवन से बचें। साथ ही प्रदूषित जगहों पर जाने से बचें। एलर्जी फ्री वातावरण में रहें। अगर आप प्रदूषित जगह पर रहते हैं, तो अस्थमा में आराम नहीं मिलता है, बल्कि बढ़ जाता है। इससे बचाव के लिए दरवाजे और खिड़कियों को हमेशा के लिए बंद रखें या हमेशा मास्क पहनकर रहें। इससे अस्थमा में आराम मिलता है। वहीं, एलर्जी का खतरा नहीं रहता है।बदलते मौसम में असमान्य तापमान के चलते सर्दी-खांसी का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में सेहत का विशेष ख्याल रखें। वहीं, सर्दी, खांसी और फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें। संक्रमण से बचाव के लिए नियमित रूप से अपने हाथों को साफ पानी से धोएं।

डॉक्टर भास्कर शर्मा ने यह भी कहा कि स्वस्थ जीवनशैली और खानपान की भी इस बीमारी पर काबू रखने में अहम भूमिका होती है। संतुलित खानपान के लिए हरी पत्तीदार सब्जियों और ताजे फल समेत स्वस्थ शाकाहारी खानपान अपनाएं। विटामिन सी और ई, मैग्नीशियम, ओमेगा—3 फैटी एसिड से परिपूर्ण खानपान करें। उन रसायनों और उत्पादों से दुरी बनाए रखें जो पहले सांस लेने की समस्या का कारण रहे हैं। धूल या मोल्ड जैसे एलर्जी से दूर रहें। एलर्जीरोधी दवा लें जो दमा के कारणों के खिलाफ शरीर की रक्षा करते हैं। चिकित्सक के सलाह से ही निवारक दवा लें। डॉक्टर भास्कर शर्मा ने कहा कि अस्थमा के मरीजों को मूंगफली, दूध, नमक, अल्कोहल, अंडे, सोया, मछली, सुपारी का सेवन नहीं करना चाहिए। यदि अस्थमा के मरीजों को कोरोना हो जाए तो सबसे पहले डॉक्टर से इलाज करवाएं। खुद से दवा न लें। डॉक्टर की बताई दवा ही खाएं। समय-समय पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें, जिन चीजों से अस्थमा बढ़ता है, उनसे दूर रहें।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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