बच्चों के लिए ऑनलाइन गेम खेलने के घंटे होंगे तय!

मौजूदा IT एक्ट की जगह डिजिटल इंडिया एक्ट लाने की तैयारी कर रही सरकार

साइबर बुलिंग को अपराध घोषित करेगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली। सरकार मौजूदा IT एक्ट की जगह डिजिटल इंडिया एक्ट लाने की तैयारी कर रही है। नया डिजिटल इंडिया एक्ट बच्चों के लिए इंटरनेट को सुरक्षित बना सकता है। इसमें साइबर बुलिंग और किसी दूसरे की निजी जानकारी इंटरनेट पर डालने को अपराध बनाने की तैयारी की जा रही है। जल्दी ही सरकार इसका ड्राफ्ट जारी कर सकती है।

अपराध घोषित होगी साइबर बुलिंग~ बदलती टेक्नोलॉजी के साथ इंटरनेट भी नए रूप में आ गया है। केंद्र सरकार साइबर बुलिंग को अपराध घोषित करेगी। इसके साथ ही किसी दूसरे की निजी जानकारी इंटरनेट पर डालना भी अपराध होगा। वहीं, बच्चों के ऑनलाइन गेम खेलने के घंटे भी तय होंगे। इसके अलावा 18 साल से कम उम्र के बच्चे गेम में खरीदारी नहीं कर सकेंगे।

डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल~ इसके अलावा डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत डेटा का गलत इस्तेमाल होने पर भारी जुर्माना लगेगा। सरकार ने ड्राफ्ट में पेनल्टी की मात्रा भी बढ़ा दी है। जुर्माने की राशि प्रभावित यूजर्स की संख्या के आधार पर तय होगी। बिल में दिए गए नियमों के तहत, कंपनियां जुर्माने के खिलाफ कोर्ट में अपील कर सकती हैं। कंपनियों को सरकार से मंजूर देशों में डेटा रखना होगा। यह कानून बन जाने के बाद, कंपनियां चीन में डेटा नहीं रख सकेंगी।

पर्सनल डेटा की सुरक्षा पर भी नजर~ बिल के तहत, इसमें किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा उल्लंघन का मतलब अनॉथराइज्ड डेटा प्रोसेसिंग से होगा। किसी व्यक्ति के पर्सनल डेटा के साथ छेड़छाड़ या नुकसान पहुंचाने पर भी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा अगर डेटा के जरिए व्यक्ति की प्राइवेसी से किसी तरह का समझौता होता है, तो भी सरकार एक्शन लेगी।

सरकार का मकसद~ इसके जरिए व्यक्ति के निजी डेटा की सुरक्षा करना, भारत के बाहर डेटा ट्रांसफर करने पर नजर रखना और किसी तरह के डेटा से जुड़ा उल्लंघन होने पर जुर्माने का प्रावधान करना है। इससे पहले सरकार ने पर्सनल डेटा प्रोटक्शन बिल वापस लिया था। केंद्रीय आईटी मंत्री ने बीते सितंबर में कहा था कि सरकार अगले कुछ दिनों में डेटा संरक्षण विधेयक का एक नया मसौदा पेश करेगी। ग्राहकों के निजी डेटा का गलत इस्तेमाल को लेकर सरकार गंभीर है।

क्या होगा डिजिटल इंडिया बिल का मतलब?
डिजिटल इंडिया बिल के ड्राफ्ट को तैयार करने के लिए MeitY ने करीब 200 युवाओं और माता-पिता से उनका इनपुट लिया है। दरअसल, सरकार मौजूदा कानूनी फ्रेमवर्क को बेहतर और दुरुस्त करना चाहती है। यही कारण है कि सरकार सभी स्टेकहोल्डर्स से भी विचार कर रही है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद इंटरनेट को एक इंटरमीडियरी के तौर पर इस्तेमाल करने का तरीका बदल जाएगा। फिलहाल, इंटरनेट के जरिए कई तरह के प्लैटफॉर्म को एक्सेस करने पर कोई रोक नहीं है।
मौजूदा IT एक्ट के तहत, इंटरमीडियरी के क्लासिफिकेशन का कोई जिक्र नहीं है। साल 2021 में MeitY ने इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) नियम जारी किए थे। इसमें पहली बार सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज का जिक्र हुआ और इनके लिए अलग रेगुलेशन को जारी किया गया था।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि प्रस्तावित डिजिटल इंडिया अधिनियम पर काफी काम किया जा चुका है और भारत के लिए इस दशक को ‘प्रौद्योगिकी-दशक’ (टेकेड) बनाने के लक्ष्य को समर्थन देने के लिए मसौदा विधायी रूपरेखा 2023 की शुरुआत में आने की उम्मीद है।
सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि गहन विचार-विमर्श से महत्वपूर्ण कानून बनाए जाएंगे जो ‘नए भारत’ और इसकी डिजिटल वास्तुकला के लिए आवश्यक होंगे।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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