अमेठी में AK-203 असाल्ट राइफल का निर्माण शुरू


लखनऊ (एजेंसी)। लंबे इंतजार के बाद AK-203 असाल्ट राइफल का अमेठी के कोरवा में निर्माण शुरू हो गया है। भारत और रूस के साझा वाली कंपनी इंडो रशियन प्राइवेट लिमिटेड ने कलासनिकोव सीरीज की इस राइफल का निर्माण शुरू किया है। इसका पहला बैच सीधे रूस से तैयार कर लाया गया है। मार्च, 2023 तक राइफल सेना के हाथ में होगी। सैन्य सूत्रों ने करीब 25 हजार राइफल के बैच के लाने की पुष्टि की है। कोरवा में स्थित आर्डिनेंस फैक्ट्री में करीब 7 लाख राइफल का निर्माण किया जाएगा। इसमें 100 फीसदी स्थानीयकरण यानी इस राइफल को स्वदेशी बनाया जाएगा । भारतीय सेना को और सेंट्रल पुलिस को इसकी आपूर्ति करने के बाद इसके निर्यात की योजना बनाई गई है।

रोस्टेक के जनरल डायरेक्टर सर्गेई चेमोजोव का कहना है, AK-203 असाल्ट राइफल दुनिया की बेहतरीन राइफलों में से एक है। इसका प्रदर्शन और निशाना एकदम सटीक है। अब इस राइफल का उत्पादन उच्च गुणवत्ता के साथ शुरू हो चुका है। यह आधुनिक छोटी राइफल भारत की सेनाओं और सेंट्रल पुलिस बलों को सौंपी जानी है। AK-203 रूसी हथियार कंपनी रोसोबोरोनेक्सपोर्ट के महानिदेशक अलेक्जेंडर मिखेव का कहना है, अमेठी के कोरवा आयुध फैक्ट्री ने कलासनिकोव AK – 203 असाल्ट राइफलों के पहले बैच का उत्पादन शुरू कर दिया है। भारतीय सेना को डिलीवरी की शुरुआत जल्द ही होने की उम्मीद है। इसके लिए फैक्ट्री की क्षमता उत्पादन के अनुकूल पूरी तरह से तैयार है। भारत में सेना के अलावा प्रवर्तन एजेंसियों को AK-203 असाल्ट राइफलों से लैस किया जाएगा। इसके अलावा दोनों देशों का ये संयुक्त उपक्रम इस राइफल को अन्य देश को निर्यात करने में सक्षम होगा। भारतAK – 203 सीरीज की असाल्ट राइफल का उत्पादन करने वाला पहला देश बन जाएगा। ये भारत सरकार के मेड इन इंडिया के तहत स्वदेशी राइफल बनने जा रही है।

अभी तीनों सेनाओं के पास करीब 7 से 8 लाख इंसास हैं। इस डील के तहत इंसास की जगह 25 हजार AK – 203 राइफल की पहली खेप सीधे रूस से भारत पहुंच गई है। आगामी मार्च तक ये राइफल चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात भारतीय जवानों के हाथों में सौंपे जाने की संभावना है। पहले 5 हजार के बैच में 5 प्रतिशत स्वदेशीकरण किया गया है। 70 हजार में 70 फीसदी स्वदेशीकरण किया जाएगा। इसके लिए 32 माह का समय लगेगा। इसी तरह 100 फीसदी यानी 6 लाख राइफल के पूरी तरह स्वदेशीकरण में 128 माह यानी दस साल लगेंगे।