डा. दामोदरन भारतीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के नए निदेशक नियुक्त
लखनऊ। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा, लखनऊ के नये निदेशक के रूप में डा. दामोदरन तुकाराम ने कार्यभार गृहण किया। डा. शैलेंद्र राजन के सेवानिवृत्त होने के बाद डा. नीलिमा गर्ग एवम डा. देवेंद्र पांडेय ने कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया।

सोमवार सुबह डा. दामोदरन ने डा. देवेंद्र पांडेय से कार्यभार ग्रहण किया । डा. दामोदरन एक ख्यातिप्राप्त उद्यान वैज्ञानिक हैं जोकि गत कई वर्षों से भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान क्षेत्रीय केंद्र, लखनऊ में प्रधान वैज्ञानिक एवम अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे। कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों एवम अन्य प्रशासनिक कर्मचारियों को सम्बोधित किया। उन्होंने सबके साथ मिलकर संस्थान को आगे ले जाने का संदेश दिया। डा. दामोदरन ने केले के उकठा रोग के जैविक प्रबंधन के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है।

डा. दामोदरन का जन्म 1973 में चेन्नई (तमिलनाडु) में हुआ था। उन्होंने कृषि /बागवानी में परास्नातक एवम पीएचडी उपाधियां तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय से प्राप्त कीं। उन्होंने 1999 में उद्यान वैज्ञानिक के रूप में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत कृषि अनुसंधान सेवा ज्वाइन की। इसके बाद 2008 में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में चयन होने पर भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान, करनाल के क्षेत्रीय केंद्र, लखनऊ में ज्वाइन किया।
बागवानी के क्षेत्र में हासिल किए राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार
डा. दामोदरन की वैज्ञानिक उपब्धियों में केले के उकठा रोग प्रबंधन हेतु जैविक उत्पाद आईसीएआर फ्युजीकॉन्ट, केले की पौध का बीमारियों से बचाव हेतु जैविक टीकाकरण तकनीक मुख्य हैं। इन तकनीकों से केले की बीमारियों के प्रबंधन में काफी मदद मिली है। आईसीएआर फ्युजीकॉन्ट उत्पाद को विश्व के अन्य देशों में भी केले के उकठा प्रबंधन हेतु विश्व बाजार में बिक्री के लिये भी लाईसेंस दिया गया है। उन्होंने आम के लिये एक लवण सहिष्णु मूलवृंत एमएल-2 भी विकसित किया जोकि इजराइल के 13-1 से भी अधिक प्रभावी है। उद्यानिकी फसलों की ऊसर एवं बंजर भूमियों में उत्पादकता बढाने के लिये जैविक उत्पाद सीएसआर बायो एवम सीएसआर ग्रोश्योर भी विकसित किये। डा. दामोदरन ने बागवानी के क्षेत्र में कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार यथा जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार, बायोटेक प्रोडक्ट एवम प्रोसेस विकास एवम व्यवसायीकरण पुरस्कार तथा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार प्राप्त किये। उन्होंने देश विदेश के सम्मानित शोध पत्रिकाओं में अपने 70 से अधिक शोध पत्र प्रकशित किये।