इस दिन ज्ञान, कला की देवी माता सरस्वती का हुआ था प्रादुर्भाव

वसंत पंचमी पर कीजिए मां सरस्वती को प्रसन्न
इस साल वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा 26 जनवरी गुरुवार को है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मां सरस्वती की विधिवत पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन ज्ञान, कला की देवी माता सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। वसंत पंचमी को साल के अबूझ मुहूर्तों में से एक माना जाता है। इसी के कारण इसे दिन बिना मुहूर्त देखें शादी-विवाह, मुंडन, छेदन, गृह प्रवेश सहित अन्य शुभ काम किए जाते हैं। कुछ ऐसे काम भी हैं जिन्हें इस दिन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि इस दिन ये काम करने से मां सरस्वती रुष्ट हो जाती हैं।
26 जनवरी गुरुवार को वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह से ही बना हुआ है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी पर इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग समेत 4 शुभ योग के साथ ही राज पंचक योग भी बन रहा है। इन शुभ योग में सरस्वती पूजा करने से आपके मन की मुराद पूरी हो सकती है। यदि आप अपने घर पर मां सरस्वती की पूजा और उनकी मूर्ति स्थापना करना चाहते हैं तो मुहूर्त, पूजा और हवन सामग्री के बारे में पहले से ही जानना होगा, ताकि वसंत पंचमी से पूर्व उसकी व्यवस्था कर लें, जिससे आपकी पूजा विधिपूर्वक संपन्न हो सके।
वसंत पंचमी पूजा मुहूर्त 2023
श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी के अनुसार इस साल सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त 26 जनवरी को सुबह से ही बना हुआ है। सुबह 07:12 बजे से मां सरस्वती की पूजा कर सकते हैं। पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 12:34 बजे तक है।
पूजन सामग्री
सरस्वती पूजा के लिए मां शारदा की एक मूर्ति या फिर तस्वीर, गणेश जी की मूर्ति, लकड़ी की एक चौकी, उसके लिए एक पीला वस्त्र, मां सरस्वती के लिए पीले रंग की साड़ी और चुनरी, पीले फूल और उसकी माला, पीले रंग का गुलाल, रोली, चंदन, अक्षत्, दूर्वा, गंगाजल, एक कलश, सुपारी, पान का पत्ता, अगरबत्ती, आम के पत्ते, धूप, गाय का घी, कपूर, दीपक, हल्दी, तुलसी पत्ता, रक्षा सूत्र, भोग के लिए मालपुआ, खीर, बेसन के लड्डू, दूध से बनी बर्फी आदि।

पूजा विधि
चौकी पर मां सरस्वती, गणेश जी और कलश की स्थापना करने के बाद जल से अभिषेक करें। फिर माता सरस्वती और गणेश जी को पूजन सामग्री अर्पित कर भोग लगाएं। इस दौरान सरस्वती चालीसा, सरस्वती वंदना, गणेश मंत्र और दोनों की आरती करनी चाहिए।
हवन साम्रगी
सरस्वती पूजा के हवन के लिए एक कुंड, आम, चंदन, बेल, नीम, मुलैठी, पीपल, गुलर, पलाश, अश्वगंधा आदि की सूखी लकड़िया, तना, छाल आदि, गाय के गोबर की उप्पलें, एक पैकेट हवन सामग्री, लोभान, गुग्गल, शक्कर, अक्षत्, काला तिल, घी, जौ, सूखा नारियल, एक लाल रंग का कपड़ा, मौली या रक्षा सूत्र, कपूर आदि।
पेड़-पौधों की कटाई नहीं~
वसंत पंचमी के साथ बसंत ऋतु का भी आरंभ हो जाता है। इसलिए इस दिन पेड़-पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए।
पहनें इस रंग के कपड़े~
बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है और माता का प्रिय रंग पीला है। इसलिए इस दिन पीले रंग के ही वस्त्र धारण करें। बिल्कुल भी काले, लाल या अन्य रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए।
वाद-विवाद से रखें दूरी~
मां सरस्वती को वाणी का देवी कहा जाता है। इसलिए इस दिन अपनी वाणी में थोड़ा नियंत्रण रखें। किसी से अपशब्द न बोले और न ही किसी से वाद विवाद न करें।
मांस-मदिरा से भी बचें~
वसंत पंचमी के दिन विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रख रहे है, तो कोशिश करें कि सात्विक भोजन करें। मांस-मदिरा का सेवन न करें, तो बेहतर है।