रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर सत्येंद्र और सलीम पर रासुका

रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर दो आरोपियों सत्येंद्र कुशवाहा और सलीम पर रासुका

29 जनवरी को थाना पीजीआई में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ हुआ था मुकदमा दर्ज

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर दो आरोपियों सत्येंद्र कुशवाहा और सलीम पर रासुका (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980) लगा दिया है। इससे पहले 29 जनवरी को थाना पीजीआई क्षेत्र में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य समेत 10 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।

समाचार एजेंसी ANI ने बताया, लखनऊ जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाने पर 2 आरोपियों सत्येंद्र कुशवाहा और सलीम पर रासुका लगाया। 29 जनवरी को सलीम, सत्येंद्र कुशवाहा और अन्य 10 लोगों का रामचरितमानस की प्रतियां जलाते हुए वीडियो वायरल हुआ था।
रामचरितमानस की प्रति जलाने के मामले में बीजेपी नेता सतनाम सिंह लवी ने PGI थाने में FIR दर्ज करवाई थी, जिसमें 10 नामजद और कई अज्ञात लोग शामिल हैं। पुलिस ने मामले में कई लोगों को गिरफ्तार भी किया है। एडीसीपी (पूर्वी) सैय्यद अब्बास के मुताबिक जिला कारागार में बंद पीजीआई निवासी सलीम और सैनिक नगर निवासी सत्येंद्र के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी का राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 के अंतर्गत निरुद्ध किए जाने का आदेश रविवार रात को जिला कारागार लखनऊ में तामील कराया गया है।

पूछताछ में पता चला था कि श्रीरामचरित मानस के पन्नों की फोटो सत्येंद्र ने अपने मोबाइल में खींची थी। इसके बाद कालोनी में ही एक दुकानदार के मोबाइल पर वाट्सएप की थी। दुकानदार ने आरोपित सत्येंद्र के कहने पर श्रीरामचरित मानस के उन पन्नों की प्रतियां अपने प्रिंटर से निकालीं थीं। सत्येंद्र कुशवाहा, मो. सलीम उन प्रतियों को लेकर वृंदावन तिराहे पर पहुंचे थे। इसके बाद पांच लोगों ने उन्हें पैरों से कुचला था और फिर आग लगा दी थी।

क्या होता है रासुका~
भारत के विभिन्न राज्यों में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (National Security Act) या रासुका को विभिन्न मामलों में लगाया जाता है। अगर, केंद्र या राज्य सरकार को लगता है कि कोई व्यक्ति कानून-व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में उसके सामने बाधा उत्पन्न कर रहा है या आवश्यक सेवा की आपूर्ति में बाधक बन रहा है, तो संबंधित सरकार द्वारा उस व्यक्ति को गिरफ्तार कराया जा सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, 23 सितंबर 1980 को इंदिरा गांधी की सरकार के दौरान अस्तित्व में आया था। रासुका में संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है।

रासुका के अन्य प्रावधान (Provisions of NSA)
यह अधिनियम, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को किसी व्यक्ति को भारत की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने, विदेश के साथ भारत के संबंधों को चोट पहुंचाने, सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव या आपूर्ति को बाधित करने, ड्यूटी पर तैनात किसी पुलिस कर्मी पर हमला करने के जुर्म में गिरफ्तार करने की ताकत देता है।
NSA के तहत, संबंधित अधिकारी के पास यह शक्ति होती है कि वह संदिग्ध व्यक्ति को बिना कारण बताये 5 दिन तक कैद में रख सकता है जबकि विशेष परिस्थितियों में यह अवधि 10 दिन तक हो सकती है। इसके बाद उसे राज्य सरकार की अनुमति जरूरी है।
NSA के तहत, गिरफ्तार व्यक्ति सरकार द्वारा गठित किसी सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुक़दमे के दौरान वकील की सहायता प्राप्त करने का हक़ नहीं है।
यह कानून, सरकार को किसी विदेशी को उसकी गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए गिरफ्तार करने या देश से बाहर निकालने की शक्ति भी देता है।
कारावास की अवधि (Imprisonment under the NSA)
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून NSA में यह प्रावधान है कि सरकार, किसी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रख सकती है, लेकिन सरकार द्वारा नए सबूत मिलने पर इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है। अगर कोई अधिकारी किसी संदिग्ध को गिरफ्तार करता है तो उसे राज्य सरकार को इस गिरफ़्तारी का कारण बताना पड़ता है।

जब तक राज्य सरकार इस गिरफ्तारी का अनुमोदन नहीं कर देती है तब तक गिरफ़्तारी की अधिकतम अवधि बारह दिन से ज्यादा नहीं हो सकती है। ध्यान रहे कि गिरफ़्तारी के आदेश, जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त अपने संबंधित क्षेत्राधिकार के तहत जारी कर सकते हैं।

गिरफ्तार अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ भी यही कार्रवाई~ एडीसीपी पूर्वी अली अब्बास के मुताबिक जेल में बंद उतरेठिया के सलीम व सैनिक नगर के सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ रासुका के तहत निरुद्ध करने का आदेश जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने रविवार को जारी किया। मामले में गिरफ्तार अन्य तीन आरोपियों आलमबाग के यशपाल सिंह लोधी, साउथ सिटी के देवेंद्र प्रताप यादव और तेलीबाग के नरेश सिंह के खिलाफ भी जल्द यही कार्रवाई होगी।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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