साहित्य और चिट्ठियों दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

साहित्य के क्षेत्र में डाक विभाग की विभूतियों का योगदान अहम् – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

साहित्य और चिट्ठियों दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता – पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान में ‘उपनिधि’ पत्रिका के डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियां विशेषांक का लोकार्पण

लखनऊ। ज्ञान गरिमा सेवा न्यास के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के निराला सभागार में ‘उपनिधि’ पत्रिका के डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियां विशेषांक एवं गौरीशंकर वैश्य विनम्र की बाल पुस्तक “फुर्र फुर्र” का लोकार्पण, कवि सम्मान एवं काव्य संगम समारोह का आयोजन किया गया। पत्रिका व पुस्तक का लोकार्पण उत्तर प्रदेश के पूर्व चीफ पोस्टमास्टर जनरल कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा, वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, समाज कल्याण विभाग के निदेशक पवन कुमार, संयुक्त आयुक्त जीएसटी पंकज के. सिंह और सम्पादक सुबोध कुमार दुबे ने किया। इस अवसर पर डाक विभाग से जुड़े साहित्यकारों और उनके परिजनों को सम्मानित भी किया गया।

बतौर मुख्य अतिथि पूर्व चीफ पोस्टमास्टर जनरल कौशलेन्द्र कुमार सिन्हा ने कहा कि डाक विभाग का जनसरोकारों से अटूट नाता है। डाक विभाग के तमाम अधिकारी -कर्मचारी साहित्य सृजन के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं।  ‘उपनिधि’ पत्रिका ने डाक विभाग की साहित्यिक विभूतियों पर विशेषांक प्रकाशित कर महनीय कार्य किया है। डाक कर्मियों के साहित्य का राष्ट्रीय स्तर पर भी एक संकलन लाए जाने की आवश्यकता है।

चर्चित साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि साहित्य और सृजन के क्षेत्र में डाक विभाग की विभूतियों का योगदान अहम् है। साहित्य और चिट्ठियों दोनों का ही संवेदनाओं से अटूट रिश्ता है। यही कारण है कि साहित्य, कला, संस्कृति की तमाम मशहूर शख्सियतें डाक विभाग की गोद में अपनी काया का विस्तार पाने में सफल रहीं। आज़ादी के अमृत काल में डाक टिकटों के माध्यम से साहित्यिक विभूतियों और सांस्कृतिक विरासत से युवा पीढ़ी को जोड़ने में डाक विभाग की अहम भूमिका है। पत्र-लेखन के माध्यम से भी डाक विभाग ने साहित्य को नए आयाम दिए। श्री यादव ने कहा कि देश की संचार व्यवस्था के साथ सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था, साहित्य, कला और संस्कृति के प्रसार और स्वाधीनता आंदोलन में भी डाक विभाग की अहम भूमिका रही है। जिस प्रकार से डाक विभाग देश भर के लोगों को जोड़ने का कार्य करता है, उसी प्रकार साहित्य भी संवेदना और संवाद के वाहक के रूप में लोगों को जोड़ने का कार्य करता है। साहित्य और प्रशासन दोनों ही पत्रों के बिना अधूरे हैं। इन पत्रों में छुपा मर्म कई बार नई राह दिखाता है। 
 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उत्तर प्रदेश शासन में निदेशक समाज कल्याण पवन कुमार ने कहा कि डाक सेवाएँ आम जन से जुड़ी हुई हैं। पत्रों के माध्यम से न सिर्फ संवाद होता है बल्कि लोगों की कई समस्याओं का निस्तारण भी होता है। डाक विभाग की तत्परता और संवेदनशीलता के चलते सरकार की तमाम कल्याणकारी योजनाओं का लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँच रहा है। उन्होंने डाक विभाग के वरिष्ठ अधिकारी रहे शमशुर्रहमान फारूकी की स्मृतियों को ताजा करते हुए बताया कि उन्होंने उनकी पहली पुस्तक पर आशीर्वचन स्वरूप प्राक्कथन लिखा था।

ज्ञान गरिमा सेवा न्यास अध्यक्ष सुबोध कुमार दुबे ने बताया कि उपनिधि पत्रिका ने अपने 24 वर्षों के सफर में तमाम महत्वपूर्ण विषयों पर अंक प्रकाशित किये। “उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल की साहित्यिक विभूतियाँ” विशेषांक में स्मरण खंड के तहत कृष्ण बिहारी नूर, पद्मश्री शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी, डॉ. रामाश्रय सविता, राम देव लाल विभोर तो प्रेरणा खंड में सेवानिवृत्त हो चुके दयानंद जड़िया, राम किशोर तिवारी, ज्योति शेखर, गौरीशंकर वैश्य विनम्र और संभावना खंड के तहत वर्तमान में सेवारत पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव, अखंड प्रताप सिंह इत्यादि के साहित्यिक कृतित्व को सहेजा गया है।     

कार्यक्रम के अंत में कवि सम्मान एवं काव्य संगम समारोह का भी आयोजन किया गया। तमाम कवियों ने अपनी रचनाओं से समा बांधा और श्रोताओं को मन्त्र मुग्ध कर दिया। संचालन राम किशोर तिवारी ने किया। इस दौरान  शुभम दुबे, विनोद सिंह, आकाश सिंह, श्रीकांत पाल, संदीप यादव सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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