
झंडापुर में है करोड़ों की भूमि। भूमि पर चारदीवारी की नींव रखने को लेकर ग्रामीणों का हंगामा। जमीन के असली मालिक को लेकर अभी भी संशय।
बिजनौर। गंज मार्ग स्थित झंडापुर में खाली पड़ी चूना भट्टी की जमीन पर चारदीवारी निर्माण के लिए नींव भराव का मामला गरमा गया है। यहां के रास्ते निकलने वाले कई गांवों के ग्रामीणों ने हंगामा करते हुए थाना कोतवाली शहर में शिकायत दर्ज कराई। फिलहाल तहसीलदार ने मौके पर काम रुकवा दिया है। ग्रामीण उक्त जमीन के बैनामे को विवादित बता रहे हैं।
जानकारी के अनुसार गंज मार्ग स्थित झंडापुर में खाली पड़ी चूना भट्टी की जमीन की कीमत करोड़ों रुपए में बताई जाती है। एक दिन पूर्व उक्त स्थान पर भराव और नींव निर्माण का कार्य तालिब ठेकेदार ने शुरू करा दिया। भनक लगते ही ग्राम पूरनपुर, जलालपुर व तीबड़ी के ग्रामीणों ने हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने थाना कोतवाली शहर पहुंच कर निर्माण कार्य रुकवाने की मांग की। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उक्त स्थान से होकर उनके गांवों का रास्ता जाता है, जिसे पटवारी अजब सिंह और ठेकेदार तालिब बंद कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तत्कालीन पटवारी अजब सिंह ने ग्राम प्रधान से सांठगांठ कर उक्त भूमि की श्रेणी बदलवाई और दलित के नाम बैनामा करा दिया था। बाद में पटवारी ने करोड़ों रुपए कीमत की उक्त भूमि का बैनामा अपने नाम करा लिया। अब करीब डेड़ करोड़ रुपए में तालिब ने कुछ हिस्सा खरीद लिया है? इस बीच बताया गया है कि मामले की जानकारी प्राप्त होते ही तहसीलदार ने मौके पर काम रुकवा दिया है।

ठेकेदार ने बैनामे की बात गलत ठहराई- तालिब ठेकेदार का कहना है कि उनके द्वारा उक्त जमीन का बैनामा कराने की बात सही नहीं है। तत्कालीन पटवारी अजब सिंह के कहने पर उन से मित्रता के नाते वहां नींव का भराव करा रहे थे। वर्ष 1952 से सरकारी पट्टा चला आ रहा था। वर्ष 2003 में पट्टेदार से अजब सिंह ने अपने नाम बैनामा करा लिया था, इस बात को भी करीब 20 साल हो गए हैं। आसपास के गांवों के ग्रामीणों ने खाली पड़ी भूमि को रास्ते के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जबकि सरकारी रास्ता अलग है। उक्त भूमि को रास्ते के तौर पर प्रयोग न करने के आदेश कोर्ट ने दिये हुए हैं। पुलिस प्रशासन को भी कोर्ट के आदेश की प्रति दिखा दी गई है।
पटवारी की पत्नी के नाम है जमीन– वहीं तत्कालीन पटवारी अजब सिंह ने बताया कि उक्त भूमि का बैनामा वर्ष 2003 में उनकी पत्नी चंचल सैनी के नाम हुआ था। पूर्व में उक्त जमीन ओबीसी श्रेणी के ख्वानी ढीमर पुत्र हरदेवा के नाम थी। उसके एक पुत्र सोनू उर्फ सुन्दू व एक पुत्री थे। पुत्री की शादी बढ़ापुर थानांतर्गत ग्राम सरदारपुर छायली में हुई थी। सुन्दु बहरा और अविवाहित था व अपनी बहन के घर ही रहता था। ख्वानी की मौत के बाद भूमि उसकी पुत्री के नाम आ गई। इस बीच उसकी मौत हो गई और इस कारण जमीन उसके चार पुत्रों कुड़वा, मूलचंद, महेश आदि के नाम हो गई। वर्ष 2003 में सुन्दु का बहनोई हरिराम सिंह उनसे मिला और जमीन बेचने की बात कही। उसने बताया कि दवाई लेने तक के पैसे नहीं हैं। इस पर उन्होंने डेढ़ लाख रुपए अपनी पत्नी चंचल से दिला कर बैनामा करा लिया।
सरकारी रास्ता है दाहिनी तरफ- जमीन खाली पड़ी देख कर ग्रामीणों ने रास्ते के तौर पर उपयोग शुरू कर दिया, जबकि दाहिनी ओर पक्की सरकारी चक रोड है। गन्ना विकास परिषद ने उक्त जमीन पर पत्थर डाले तो वो कोर्ट पहुंच गए। परिषद की ओर से कोई नहीं आया। कोर्ट ने आदेश कर दिया कि बिना उक्त भूमि को खरीदे वहां कुछ कार्य नहीं करा सकते। जमीन उनकी पत्नी के ही नाम है किसी को बेची नहीं है। ठेकेदार तालिब को मित्रता के नाते उन्होंने बाउंड्री बनाने के लिए कहा था।