
म्यांमार में सैन्य तख्ता पलट, राष्ट्रपति व आंग सान सू की हिरासत में
नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश म्यांमार में सेना ने तख्तापलट करते हुए देश की सर्वोच्च नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन म्यिंट समेत कई वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया है। सेना ने देश में सत्ता पर कब्जा करते हुए एक साल के लिए आपातकाल की घोषणा की है। पूरे देश की सत्ता सेना के कमांडर-इन-चीफ मिन आंग ह्लाइंग के पास आ गई है।

जानकारी के अनुसार पिछले साल के चुनाव के बाद म्यामांर के सांसद राजधानी नेपीता में संसद के पहले सत्र के लिए आज एकत्रित होने वाले थे। हालांकि, सेना के हालिया बयानों से सैन्य तख्तापलट की आशंका दिख रही थी। सू की, की पार्टी ने संसद के निचले और ऊपरी सदन की कुल 476 सीटों में से 396 पर जीत दर्ज की थी जो बहुमत के आंकड़े 322 से कहीं अधिक था। लेकिन वर्ष 2008 में सेना द्वारा तैयार किए गए संविधान के तहत कुल सीटों में 25 प्रतिशत सीटें सेना को दी गई हैं जो संवैधानिक बदलावों को रोकने के लिए काफी है। कई अहम मंत्री पदों को भी सैन्य नियुक्तियों के लिए सुरक्षित रखा गया है। सू की (75) देश की सबसे अधिक प्रभावी नेता हैं और देश में सैन्य शासन के खिलाफ दशकों तक चले अहिंसक संघर्ष के बाद वह देश की नेता बनीं। सेना ने चुनाव में धोखाधड़ी का आरोप लगाया हालांकि वह इसके सबूत देने में नाकाम रही। देश के स्टेट यूनियन इलेक्शन कमिशन ने पिछले सप्ताह सेना के आरोपों को खारिज कर दिया था। इन आरोपों से पिछले सप्ताह उस वक्त राजनीतिक तनाव पैदा हो गया जब सेना के एक प्रवक्ता ने अपने साप्ताहिक संवाददाता सम्मेलन में एक पत्रकार के सवाल के जवाब में सैन्य तख्तापलट की आशंका से इंकार नहीं किया।

एक साल की इमरजेंसी का ऐलान-कमांडर इन चीफ सीनियर जनरल मिन आंग लाइंग ने भी वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर कानून को सही तरीके से लागू नहीं किया गया तो संविधान को रद्द कर दिया जाएगा। इसके साथ ही देश के कई बड़े शहरों की सड़कों पर बख्तरबंद वाहनों की तैनाती से सैन्य तख्तापलट की आशंका बढ़ गई। हालांकि शनिवार को सेना ने तख्तापलट की धमकी देने की बात से इंकार किया और अज्ञात संगठनों एवं मीडिया पर उसके बारे में भ्रामक बातें फैलाने तथा जनरल की बातों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया। सेना ने रविवार को भी अपनी बात दोहराते हुए तख्तापलट की आशंका को खारिज किया और इस बार उसने विदेशी दूतावासों पर सेना के बारे में भ्रामक बातें फैलाने का आरोप लगाया। अमेरिका में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों और विदेश मंत्रालय ने कहा कि वे म्यामांर में हो रहे घटनाक्रम की खबरों से अवगत हैं।