
उरई (जालौन)। अब जब विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने में कुछ समय बचा है। कभी भी निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का ऐलान कर सकता है। ऐसे में टिकट के दावेदार अपने घोड़े दौड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। विपक्ष के साथ ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में टिकट को लेकर मौजूदा विधायकों एवं दावेदारों के बीच जमकर रस्साकशी चल रही है।… क्योंकि जिस तरह से पार्टी हाईकमान ने कई मौजूदा विधायकों के टिकट कटने के संकेत दिये हैं, उससे विधायकों की हालत पतली होती जा रही है। उन्हें लगता है कि कहीं उनका टिकट न उड़ा दिया जाए। उरई- जालौन विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो मौजूदा विधायक गौरीशंकर वर्मा की सिटिंग विधायक होने के नाते दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। लेकिन सिंटिंग विधायक होने के नाते उनके खिलाफ पार्टी कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्रीय जनता की नाराजगी न हो ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि एक साल पहले ही ग्राम गढ़र में खुलेआम पार्टी कार्यकर्ताओं से उनकी मुंहाचाही हुई थी और कार्यकर्ताओं ने उन्हें खरी-खोटी सुनाते हुए विकास कार्य न कराने के आरोप जड़े थे। जहां तक क्षेत्र के विकास की बात है तो जिला मुख्यालय उरई नगर की सड़कें उन्हें मुंह चिढ़ा रही हैं। पिछले साढे चार साल से जेल रोड पर चल कर अपने वाहन कबाड़ा कर चुके लोगों की सुध कार्यकाल के आखिरी में ली। पूरे शहर की सड़कों को पैचवर्क के नाम पर ढका जा रहा है। जहां दूसरे दिन ही गड्ढे दिखाई देने लगते हैं। उरई विधानसभा क्षेत्र की सड़कों का हाल कम खराब नहीं है। सूत्रों की मानें तो जब चुनाव करीब आया तो ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अवर अभियंताओं से विकास कार्यों के स्टीमेट बनवाकर कार्यकर्ताओं को दिखाये जा रहे हैं, जबकि विधायक निधि पहले ही साफ हो चुकी है। कार्यकर्ताओं को बहलाया तो जा ही सकता है,जिसे विधायक गौरीशंकर वर्मा अच्छी तरह से अंजाम दे रहे हैं। हालांकि मौजूदा विधायक गौरीशंकर वर्मा के खिलाफ पार्टी के आम कार्यकर्ताओं एवं क्षेत्र की जनता जनार्दन की नाराजगी की बहुत सारी वजह है, जिनका सामना टिकट मिलने पर उन्हें कार्यकर्ताओं की नाराजगी के रूप में करना पड़ सकता है।
फिलहाल सिटिंग विधायक के रूप में उनकी दावेदारी तो मजबूत मानी जा रही है, लेकिन उनकी प्रत्याशिता को लेकर भाजपा में द्वन्द की स्थिति बनी हुई कि क्या वह फिर से भाजपा को जीत दिला पायेगे ? असमंजस की ऐसी स्थिति में टिकट के अन्य दावेदारों पर भाजपा विचार कर सकती है और उनमें पहला नाम जिला पंचायत सदस्य पूनम अरविंद निरंजन एट का आता है। इनका नाम जिला पंचायत अध्यक्ष की दावेदारी में भी सामने आया था लेकिन आखिर में डा. घनश्याम अनुरागी को प्रत्याशी घोषित किया गया था। पूनम ग्राम एट की प्रधान बनने के साथ ही दो बार जिला पंचायत सदस्य बन चुकी हैं। पार्टी के भीतर उनकी दावेदारी को तबज्जो दी जा रही है। प्रांतीय स्तर पर भी पूनम की दावेदारी चर्चा में है। हालांकि जिस तरह से कांग्रेस द्वारा विधानसभा चुनाव में 40 प्रतिशत महिलाओं को टिकट देने की बात कहीं जा रही है, उसे देखते हुए उरई सीट पर पूर्व सभासद सुनीता वर्मा एवं रेखा वर्मा भी टिकट के लिए ताल ठोक रही हैं। कहने को रामप्रकाश मुखिया भी दावेदारी कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा विधायक गौरीशंकर वर्मा की दावेदारी अभी भी मजबूत मानी जा रही है। सिटिंग विधायक के रूप में वह टिकट पाने में भले सफल हो जाएं लेकिन विधानसभा चुनाव में वह सीट निकाल पायेगे ? यही सवाल पार्टी नेतृत्व को हलकान किये है। सूत्रों की माने तो सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा का रिपोर्ट कार्ड भी ज्यादा संतुष्ट करने वाला नहीं माना जा रहा है। यही वजह है कि उनके टिकट को लेकर पार्टी के जिम्मेदार भी फिलहाल मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं।
–सुरेश खरकया