बिजनौर। सदर विधानसभा सीट पर चुनाव दिलचस्प होने के आसार बढ़ गए हैं। जानकारों के अनुसार भाजपा प्रत्याशी सूची मौसम चौधरी की राह इस बार आसान नजर नहीं आ रही। चुनाव में उन्हें जहां सपा रालोद गठबंधन से कड़ी टक्कर मिल रही है, वहीं बसपा प्रत्याशी रूचि वीरा भी पूरी ताकत से चुनाव प्रचार में लगी हुई हैं। आम आदमी पार्टी प्रत्याशी विनीत शर्मा ने भी धुआंधार प्रचार कर अपने चुनाव को मजबूत बना लिया है। उस पर मतदाताओं की चुप्पी से सभी प्रत्यशियों की नींद उड़ी हुई है।

चुनावी समीक्षकों के मुताबिक 389356 मतदाताओं वाली बिजनौर सदर सीट पर भाजपा ने इस बार भी अपनी निवर्तमान विधायक सूची मौसम चौधरी को प्रत्याशी बनाया है। सपा रालोद गठबंधन से वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ नीरज चौधरी चुनाव मैदान में हैं। वहीं बसपा के टिकट पर पूर्व सदर विधायक रुचि वीरा भी पूरी ताकत के साथ डटी हुई है। इस चुनाव में पहली बार आम आदमी पार्टी के टिकट पर पढ़े लिखे नौजवान विनीत शर्मा शिक्षा, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा किसानो के गन्ना भुगतान जैसे मुद्दों के साथ चुनाव मैदान में उतरे हैं।

जातीय समीकरण के लिहाज से इस सीट पर लगभग एक लाख 40 हजार मुस्लिम, 45 हजार जाट, 48 हजार अनुसूचित जाति 40 हजार सैनी, 14 हजार पाल 12 हजार कश्यप, 10 हजार राजपूत, 10 हजार वैश्य, 8 हजार बंगाली, 5 हजार ब्राह्मण व शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं।

जाट मतदाता का रुझान स्पष्ट नहीं- 13 महीने चले किसान आंदोलन को लेकर भाजपा से नाराजगी के चलते जाटों का रुझान किसी एक पार्टी की तरफ होता दिखाई नहीं दे रहा है। हालांकि रालोद प्रत्याशी डॉक्टर नीरज चौधरी बिरादरी के दिग्गजों के साथ घर घर जाकर भाईचारे व विकास के वादे कर रहे हैं।
भाजपा के पास भी है जाट समुदाय- किसान आंदोलन को लेकर जाटों के भाजपा से नाराज होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसके बावजूद, इन दावों में कोई ख़ासा दम नहीं दिखता। पश्चिम उत्तर प्रदेश में बीजेपी के मंत्री, विधायक से लेकर कई वरिष्ठ पदाधिकारी भी जाट हैं। सभी ने सुशासन, विकास, सुरक्षा आदि मुद्दों को लेकर अपनी बिरादरी में खासी पैठ बना रखी है।
मुस्लिम मतदाता भी साधे है चुप्पी- पूर्व सदर विधायक रुचि वीरा इस बार बसपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। विधानसभा क्षेत्र के ग्रम पेदा में एक वर्ग विशेष के तीन लोगों की हत्या के बाद अल्पसंख्यक समुदाय का उनके प्रति झुकाव तो हुआ लेकिन 2017 के विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक मतदाताओं का उनके पक्ष में ध्रुवीकरण होने के बावजूद चुनाव हार गई थी। इस बार रुचि वीरा दलित व मुस्लिम गठजोड़ के सहारे चुनावी वैतरणी पार करना चाहती हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव में मुस्लिम समाज पूरी तरह से एकजुट होता नजर नहीं आ रहा है। समाजवादी पार्टी और रालोद गठबंधन के चलते डॉ नीरज चौधरी को भी इस वर्ग के वोट मिलना तय है।
ठिठका हुआ है मुस्लिम वोटर- बताया जाता है कि बसपा सुप्रीमो मायावती के कथित बयान कि “चाहे भाजपा को वोट देना पड़े, समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी नहीं जीतना चाहिए!” इसके बाद मुस्लिम मतदाता एक तरह से ठिठक सा गया है। जानकारों के अनुसार इस वर्ग के मतदाताओं के मन में संशय है कि यदि वो बसपा को वोट देते भी हैं, तो वह भाजपा के खाते में ही जाना है। इसलिए वह पशोपेश में है।

आम आदमी पार्टी ने इस बार बिजनौर सदर सीट से युवा व पढ़े-लिखे विदित शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है। उनके धुआंधार चुनाव प्रचार, दिल्ली के विकास मॉडल, किसानों की कर्ज माफी, महिला सुरक्षा, रोजगार, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसे वादों के बाद आप संयोजक अरविंद केजरीवाल की उनके समर्थन में वीडियो संदेश जनता के बीच पहुंचाए जाने के बाद चुनाव प्रचार के अंतिम चरण में आप प्रत्याशी की स्थिति मजबूत होती दिखाई दी। क्षेत्र की चुनावी समीक्षा के बाद बिजनौर सदर सीट पर इस बार मुकाबला दिलचस्प होने के आसार बढ़ गए हैं। चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, ये तो आने वाली 10 मार्च को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा, किंतु दूसरे चरण में 14 फरवरी को होने वाले मतदान के लिए मतदाताओं में काफी उत्साह दिखाई दे रहा है। इसके बावजूद जनता अपने पत्ते खोलने को तैयार नहीं है।
