तहसीलकर्मियों ने दलित की जमीन कर दी दूसरों के नाम!

बिजनौर। सरकारी कर्मचारियों के खेल भी निराले हैं। कभी भी, कहीं भी और कुछ भी कर दें, पता नहीं। बाप बड़ा न भइया, सबसे बड़ा रुपैया के सिद्धांत पर ही होता है काम। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। तहसील बिजनौर के  तीन लेखपालों व एक राजस्व निरीक्षक ने भारी भरकम रकम डकार कर करोड़ों की जमीन पर अन्य लोगों का कब्जा करा दिया।

पीड़िता ऊषा के अनुसार उसके दादा छज्जू सिंह पुत्र ज्ञाना निवासी ग्राम फिरोजपुर मान्डू परगना दारानगर तहसील व जिला बिजनौर, अनुसूचित जाति से चमार थे। उनके एकमात्र पुत्र तेजा सिंह उर्फ तेजपाल थे। तेजा सिंह ऊषा के पिता थे। ऊषा के दादा द्वारा छोड़ी गई आराजी काश्त उसकी माता व भाई के नाम बतौर वारिस आनी चाहिए थी। आरोप है कि विरेन्द्र पाल लेखपाल, पवन लेखपाल, सहजराम लेखपाल व प्रमोद कुमार सैनी राजस्व निरीक्षक ने कागजात में हेराफेरी करके फर्जी तरीके से पीड़िता की पुश्तैनी जमीन अन्य व्यक्तियों के नाम कर दी।

कागजात में हेराफेरी कर जमीन की दूसरों के नाम- महिला ने आरोप लगाया कि उक्त सरकारी कर्मचारियों ने कागजात में हेराफेरी कर उसकी दादिलाही जमीन प्रमोद, आमोद पुत्रगण जसबन्त सिंह निवासी मौ0 नई बस्ती-14 निकट करबला थाना को0 शहर जिला बिजनौर, चेतन पुत्र प्रीतम निवासी ग्राम लखपत नगर थाना कोतवाली शहर जिला बिजनौर, नौबहार, महावीर, सोहन, मोहन पुत्रगण मूला निवासी ग्राम मुन्डूपुर थाना-को०शहर जिला बिजनौर, बलजोर पुत्र गिरवर निवासी ग्राम लक्खीवाला थाना-को०शहर जिला बिजनौर, बलवीर पुत्र गरीबा निवासी ग्राम लक्खीवाला थाना को०शहर जिला बिजनौर, राजीव, संजीव पुत्रगण मुनेशवर, नीरज पुत्र तपेशवर नि०गण ग्राम  पृथ्वीपुर थाना को०शहर जिला बिजनौर के नाम कर दी। पीड़िता ने बताया कि उसके दादा व पिता ने अपनी आराजी काश्त का बैनामा कभी भी किसी के नाम नहीं किया।

आखिर क्या है मामला? छज्जू सिंह पुत्र ज्ञाना के खसरा सं0- 72/1, 173/1, 50/6, 52/1, 53, 54/1, 95/1, 109/1 में 9 बीघा पक्की यानी 27 बीघा जमीन थी। मौजा दारानगर बी0ए0 परगना दारानगर तहसील व जिला बिजनौर में खसरा नं0- 336, 337 में आम का बाग भी उनके हिस्से में ही था। छज्जू सिंह व उनके पुत्र तेजा सिंह उर्फ तेजपाल की मृत्यु के बाद उक्त जमीन उनके पुत्रों के नाम बतौर वारिसान दर्ज होनी थी। आरोप है कि सरकारी कर्मचारियों व आरोपित ग्रामीणों ने आपस में हमसाज होकर  कागजात में हेराफेरी करके छज्जू पुत्र ज्ञाना नाम का फायदा उठाकर महिला की पुश्तैनी जमीन छज्जू सैनी पुत्र गरीबा निवासी ग्राम लक्खीवाला के नाम करवा दी। पीड़िता व परिजनों को इस बात की भनक तक न हुई कि आरोपियों ने माल कागजात में हेराफेरी करके उपरोक्त व्यक्तियों के नाम दर्ज कर दिये हैं। जब ऊषा ने अपनी आराजी काश्त की नकल ली, तब मामला सामने आया।

काम के बदले मांगी रिश्वत- पीड़िता ने बताया कि इस बात को लेकर वह राजस्व निरीक्षक प्रमोद कुमार से मिली तो उसने दादा व पिता द्वारा छोड़ी गई जमीन उसकी मां व भाइयों के नाम करने की एवज में 50 हजार रुपए मांगे। इस बात की शिकायत उच्च अधिकारियों से की तो उक्त सभी उससे रंजिश रखने लगे। यह भी आरोप है कि अधिकारियों ने भी कोई सही कार्यवाही आज तक नहीं की।

घर में घुसकर पीटा, तोड़फोड़- 06 जुलाई 2020 को सुबह 7 बजे प्रमोद, आमोद, चेतन, महावीर, सोहन, मोहन व विरेन्द्र पाल, सहजराम, बलजोरा, प्रमोद कुमार सैनी, संजीव, नीरज और राजीव, बलवीर ने ऊषा की उसके घर में घुसकर जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए जमकर पिटाई की। इस दौरान हमलावर उच्च अधिकारियों से शिकायत करने पर उसके भाइयों को जान से मारने की धमकी देते रहे। उन्होंने उसके घर के सामान को तोड़फोड़ कर तहसनहस कर दिया। शोर सुनकर पहुंचे नरेश, निधि व बहुत से लोगों ने उस को बचाया।

पुलिस अधीक्षक को सौंपा कोर्ट का आदेश: पीड़िता ने पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह को प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया कि उसने अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए उपरोक्त मुल्जिमान के विरूद्ध थाना कोतवाली शहर बिजनौर को एक प्रार्थना पत्र दिया था, लेकिन उस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक बिजनौर को भी प्रार्थना पत्र दिया लेकिन उस भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद न्यायालय में एडीजे कोर्ट नं- 2 बिजनौर परिवाद सं.- 36/20 उषा बनाम प्रमोद आदि दायर किया था। इस पर न्यायालय ने दिनांक 05-04-2022 को उपरोक्त प्रमोद, आमोद, चेतन, नौबहार, महावीर, सोहन, मोहन, बलजोरा, बलवीर, राजीव, संजीव व नीरज को धारा-323, 504, 506 आई.पी.सी. व 3/1 द,ध, एस०सी०/एस०टी० एक्ट में तलब किया था। वहीं विरेन्द्र पाल लेखपाल, पवन लेखपाल, सहजराम लेखपाल व प्रमोद कुमार सैनी राजस्व निरीक्षक को यह कहते हुए तलब नहीं किया कि धारा-197 सीआरपीसी के अन्तर्गत लोक सेवक के विरूद्ध राज्य सरकार से पूर्व में अनुमति प्राप्त किये जाने के पश्चात ही अभियोग लाया जा सकता है। पीड़िता ने उपरोक्त आदेश के विरूद्ध उच्च न्यायालय में उपरोक्त मुल्जिमान को अभियुक्त बनाने के लिए याचिका अन्तर्गत धारा-482 याचिका सं0-22288/2022 उषा बनाम राज्य सरकार 16 आदि दायर की थी। इस पर उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने दिनांक 28-07-2022 को अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए पुलिस अधीक्षक बिजनौर के समक्ष प्रार्थना पत्र देने हेतु निर्देशित किया है। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक को भी प्रार्थिनी के प्रार्थना पत्र पर अभियोग पंजीकृत कराने हेतु आदेशित किया गया है।

एसपी ने दिए जांच के आदेश: पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह ने सीओ सिटी को पीड़िता ऊषा के प्रार्थना पत्र पर जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने को निर्देशित किया है।

आरोपियों में खलबली: महिला के प्रार्थना पत्र तथा कोर्ट के आदेश की भनक लगते ही आरोपियों में खलबली मच गई है। अब वे जोड़तोड़ की कोशिश में जुट गए हैं। एक तहसील कर्मी प्रमोद कुमार सैनी ने बताया कि बैनामा वर्ष 1960 में हो चुके थे, तब से दो चकबंदी भी निकल चुकी हैं। किसी के भी द्वारा इस मामले में कोई यथोचित पैरवी नहीं की गई।

Published by Sanjay Saxena

पूर्व क्राइम रिपोर्टर बिजनौर/इंचार्ज तहसील धामपुर दैनिक जागरण। महामंत्री श्रमजीवी पत्रकार यूनियन। अध्यक्ष आल मीडिया & जर्नलिस्ट एसोसिएशन बिजनौर।

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