अपराध. कर्म दर्शन, 16 से 31 मई 2002
मासूम बबली की लाश पर बिछी सियासी बिसात!
संजय सक्सेना, उरई जालौन
दुर्गाष्टमी के दिन दलित युवती की संदिग्ध मौत मामला दिन पर दिन उलझता जा रहा है। सम्बन्धित थाना कदौरा पुलिस पर पक्षपात के आरोप खुलकर लग रहे हैं। वहीं आरोपियों के पक्ष में पूर्व मंत्री के खुलकर उतर आने के बाद पीड़ित पक्ष की पैरवी में भाकपा (माले) आ जुटी है।
२० अप्रैल को दुर्गाष्टमी के अवसर पर ग्राम बड़ागाँव थाना कदौरा के ग्रामीण जवारों की तैयारियों में लगे हुए थे कि शोर मच गया। हरी शंकर निषाद की १६ वर्षीय पुत्री बबली ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। मृतका के चाचा सरजू प्रसाद द्वारा कदौरा थाने में दर्ज कराई गयी प्राथमिकी में ग्राम प्रधान बाबूलाल व उसके परिवार के राकेश बाबू, रामबाबू व राकेश को नामजद कराते हुए आरोप लगाया गया कि उक्त लोगों ने बबली को घर में अकेला पाकर बलात्कार का प्रयास किया परन्तु अपनी कुत्सित इरादों में असफल होने पर फांसी पर लटका दिया, इससे बबली के प्राण पखेरू उड़ गये। थानाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह ने रिपोर्ट तो दर्ज कर ली परन्तु गांव के भीतर इस काण्ड को लेकर सियासी चालें चली जाने लगी। प्रत्येक गांव की तरह इस गांव में भी एक पक्ष पीड़ितों के पक्ष में आ खड़ा हुआ तो कुछ लोग दबंग प्रथान बाबूलाल की तरफ आ मिले जबकि कुछ बचे ग्रामिणों ने किसी भी ओर से मुंह खोलने से गुरेज करते हुए खुद को किनारे करने में भलाई समझी।
चार दिन बाद पूर्व मंत्री श्री रामपाल के आरोपी पक्ष की पैरवी में उतर आने से मामले ने एक नया मोड़ ले लिया। बहुजन समाज पार्टी की सरकारों में तीन बार मंत्री पद पर रह चुके श्रीरामपाल इस बार पार्टी से निकाल दिये जाने के बाद जब समाजवादी पार्टी के टिकट पर लड़कर चुनाव हार गये तो संभवतः दबे कुचले समाज के प्रति उनका मोह खत्म हो गया। इन चर्चाओं के अनुसार इसी कारण श्री रामपाल ने दबंग प्रधान बुन्देलखण्ड केसरी रह चुके बाबूलाल के बचाव का बीड़ा उठाया है। २४ अप्रैल को श्री रामपाल अपने साथ बाबूलाल को लेकर पुलिस अधीक्षक अमरेन्द्र सिंह सेंगर के पास पहुंचे और उक्त काण्ड में बाबूलाल को कथित रूप फंसाए जाने का आरोप लगाते हुए मामले की एक अलग तस्वीर पेश की। श्रीरामपाल के अनुसार मृतका बबली के गांव के ही सजातीय युवक वैलू से अवैध सम्बन्ध थे। अष्टमी के दिन जब गांव जवारे निकालने की तैयारी में लगा था तो सूना घर पाकर उक्त युवक बबली के पास जा पहुंचा और दुनिया से बेखबर दोनों प्रेमी प्रेमलाप में मग्न हो गये। अचानक युवती का पिता हरीशंकर वहां पहुंचा और उन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख आगबबूला हो गया। हरीशंकर ने लाठी लेकर दोनों की पिटाई शुरु कर दी और जब युवक घबराकर भाग गया तो उसने बबली को मारपीटकर बेहोश कर डाला, बाद में अपनी साफी (अंगोछे) से फांसी लगाकर मार दिया। चर्चा यह भी रही कि पिता द्वारा पीटे जाने से क्षुब्ध होकर बबली ने स्वयं फांसी पर लटककर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मामले को राजनैतिक रंग देते हुए पुलिस अधीक्षक को बताया गया कि ग्राम प्रधानी के चुनाव में हरिशंकर का भाई वीर सिंह उम्मीदवार रहा था जो कि पराजित होने के बाद बाबूलाल से रंजिश मानने लगा था। इसी कारण बबली के परिजनों ने अपनी रंजिश मुनाते हुए बाबूलाल व उसके परिवार के युवकों को मामले में अभियुक्त बनवा दिया।
गौरतलब है कि थानाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह का पूरा कार्यकाल विवादों से अछूता नहीं रह सका है। वह जिस थाने में भी रहे वहीं कोई न कोई ऐसा मामला जरूर हुआ जिसमें शैलेन्द्र सिंह आरोपों से घिरे मानवाधिकार आयोग में भी उनके खिलाफ जांच चल रही है। आरोप है कि कुठौन्द रामपुरा व रेन्ढर के थानाध्यक्ष पदों पर रहते हुए उन्होंने न सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया बल्कि अराजक तत्वों को अभयदान देकर निरीह ग्रामीणों को सताया भी, यही कारण रहा कि उनके खिलाफ डेढ़ दर्जन से ज्यादा जांचे थीं जिनमें से कुछ चल रही हैं और कुछ दबा दी गयी। थानाध्यक्ष के पिछले रिकार्ड का हवाला देकर ग्राम बड़ांगाव के प्रधान का बचाव करने को सामने आने वाले लोगों का मानना है कि शैलेन्द्र सिंह ने व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के
वहीं दूसरी ओर मामले में जिस युवक बैलू उर्फ रामबाबू को आरोपी पत्र में केन्द्र बिन्दुः बनाया था, उसको घटना के नौवें दिन जो रहस्योद्घाटन किया उससे चर्चाओं ने फिर दूसरा मोड़ ले लिया है। रामबाबू के अनुसार उसने दुर्गा मंदिर में बबली से शादी कर ली थीं। पिछले वर्ष हुई इस शादी की खबर बबली के घरवालों को हुई तो उन्होंने उसकी शादी कर्बी में तय कर दी। घटना वाले दिन सगाई रस्म होनी थी, बबली द्वारा विरोध जताने पर लड़के वाले वापस चले गये। उसी दिन घर सुनसान पाकर बबली ने उसे बुला लिया और इस नयी समस्या से निपटने के विषय में बातें करने लगी। इसी बीच उसके पिता हरिशंकर वहां आ गये और क्रोधित होकर दोनों की पिटाई कर दी। रामबाबू किसी प्रकार वहां से जान बचाकर भाग आया। रामबाबू के अनुसार हरिशंकर ने बबली की चोटों का इलाज भी कराया था। उसकी मौत कैसे हुई यह बात वह स्वयं नहीं जानता।
घटना के परिप्रेक्ष्य में भाकपा (माले) ने खोजबीन कर जो निष्कर्ष निकाला वो यह है कि बबली की मौत से करीब ८ दिन पहले इस काण्ड की रूपरेखा दबंग प्रधान द्वारा रच ली गयी थी। पार्टी के अनुसार ग्रामीणों ने उन्हें बताया कि बबली कुएं से पानी भरकर लौट रही थी कि राह में राकेशबाबू, रामबाबू व राकेश ने उसे छेड़ा जिस पर बबली नै चप्पल फेंक कर मारी थी। इस अपमान का बदला लेने के लिये अभियुक्तों ने पहले तो उसे अपनी कामपिपासा का शिकार बनाया फिर फांसी पर लटका कर उसकी जान ले ली। भाकपा नेताओं के अनुसार बबली की लाश कहीं लटकी हुई नहीं पाई गयी और उसके गले में साफी पड़ी थी, गर्दन की हड्डी टूटी थी जैसा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी स्पष्ट है। भाकपा माले नेता देवेन्द्र शुक्ल ने पुलिस अधीक्षक से मांग की है कि पुलिस अधिकारी, पत्रकार व उनकी पार्टी के एक-एक सदस्य की टीम गठित कर बड़ागांव भेजी जाये जिससे दूध का दूध, पानी का पानी हो सके। आरोप है कि अभियुक्तों में से एक रामबाबू ने अपनी शादी बबली से हो चुकने की बात प्रचारित कर केस को अपने पक्ष में मोड़ने की कोशिश की है। शक की गुंजाइश इसलिये भी है क्योंकि थानाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह आपराधिक मामलों को उलटफेर करने के गणित में माहिर है ही खास तौर से तब जब मामले में कोई तगड़ा आसानी फंसा हो।